आपने मंदिर के प्रसाद के लिए लोगों की लंबी लाइन देखी होगी. सबके लिए प्रसाद लेने की अलग-अलग वजह है. किसी गरीब के लिए भूखा पेट भरने का जरिया, तो किसी के लिए आत्मा के शुद्धिकरण का मार्ग. पुराणों में कहा गया है कि मंदिर का प्रसाद ग्रहण करने से अनजाने में हुए अपराध क्षमा हो जाते हैं. साथ ही इसे ग्रहण करने से सकरात्मक विचारों का संचार होता है. भारत विविधताओं से भरा देश है. देश के हर हिस्से में विचित्रताएं देखने को मिलती हैं. भारत में कई मंदिरों में कुछ अलग हटकर प्रसाद मिलता है. आइए, जानते हैं ऐसे ही कुछ मंदिरों और वहां मिलने वाले प्रसाद के बारे में.
करणी देवी, राजस्थान
इस मंदिर में आपको प्रसाद के रूप में जो भी चीज मिलेगी उसे यहां के पालतू चूहों से भोग लगाया जाता है. यहां दूध का चरणामृत चूहों को भोग लगाने के बाद दिया जाता है.
काल भैरव, उज्जैन
काल भैरव का मंदिर जहां पर प्रसाद के रूप में देसी शराब दी जाती है. दिलचस्प बात ये है कि यहां पर प्रसाद लेने के लिए औरतों से ज्यादा आदमियों की लंबी लाइन लगती है.
कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी
गुवाहाटी के कामाख्या देवी मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. मेले के दौरान 3 दिन के लिए मां के दर्शन आम भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं और चौथे दिन जब मंदिर के द्वार खुलते हैं तो बहुत बड़ी संख्या में भक्तों का तांता मां के दर्शन के लिए लग जाता है. प्रसाद के रूप में प्रत्येक भक्त को एक गीला कपड़ा प्राप्त होता है. कहा जाता है कि ये कपड़ा मां के रज से भीगा होता है.
शिव मंदिर, केरल
इस मंदिर से जुड़े लोगों का मानना है कि सबसे बड़ा प्रसाद है ज्ञान, इसलिए यहां प्रसाद के रूप में भक्तों को किताबों, सीडी और एकेडमिक पेपर्स को प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है. …Next
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