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महाभारत के युद्ध के अंतिम दिन गांधारी ने क्यों उतारी थी अपनी आंखों से पट्टी

महाभारत के पात्रों में गांधारी के विषय में सभी लोगों के अपने-अपने विचार है। अपने नेत्रहीन पति का साथ देने के लिए स्वयं की आंखों पर पट्टी बांधने के कारण उनकी अधिकतर लोगों द्वारा आलोचना की जाती है। साथ ही पुत्रमोह के कारण भी उनसे कई सारे अधर्म हुए लेकिन फिर भी उन्हें पतिव्रता और निष्ठावान स्त्री के रूप में माना जाता है। इसी कारण से उन्हें दिव्य शक्ति भी मिली थी। गांधारी को भगवान शिव में असीम आस्था थी और उन्हें भगवान शिव से ही यह वरदान प्राप्त था कि वह जब कभी भी किसी को भी अपनी आँखों की पट्टी उतारकर देखेंगी, उसका पूरा शरीर लोहे का हो जायेगा।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal15 Jul, 2019

 

kaurav birth

 

इसी वरदान के चलते गांधारी ने पुत्र मोह में आकर अपने अधर्मी पुत्र दुर्योधन की रक्षा करने के लिए महाभारत युद्ध के दौरान उसके पूरे बदन को नग्न देखने के लिए प्रथम बार अपनी पट्टी उतारी थी, जिससे कि उनके पुत्र का शरीर व्रज का बन जाए, लेकिन दुर्योधन जैसे अधर्मी को मारना बहुत जरूरी था इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन को गांधारी के इस वरदान से फलीभूत होने से बचाने के लिए छल का सहारा लिया। श्रीकृष्ण के कहने पर दुर्योधन अपनी मां के सामने लंगोट पहनकर गया जिससे गांधारी की दिव्य दृष्टि का प्रभाव उसकी जांघ पर नहीं पड़ा।

 

ghandhari

 

गांधारी ने महाभारत युद्ध के अंतिम दिन अपनी पट्टी उतारी थी। जब महाभारत का युद्ध समाप्ति पर था तब जिस समय गांधारी को अपने प्रिय पुत्र दुर्योधन के घायल होने का समाचार प्राप्त हुआ था, उस समय उन्होंने अपनी आँखों की पट्टी खोलकर देखने के लिए भागी जिससे कि दुर्योधन के शेष बचे शरीर को लोहे जैसा मजबूत बना सके लेकिन तब तक भीम ने दुर्योधन के कमर से नीचे वार कर दिया था, जिसके कारण दुर्योधन अपनी अंतिम सांस ले रहा था।..Next

 

death of duryodhan

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