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मां लक्ष्मी की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने दिया था यह वरदान जो आज भी है हमारे बीच उपस्थित

विभिन्न भाषाओं वाले भारत देश को यदि करीब से जानना एवं समझना हो तो एक नजर युगों पहले रचे गए भारतीय ग्रंथों एवं उपनिषदों पर डालना जरूरी है. यह ग्रंथ हमें देवी-देवताओं एवं ऋषि-मुनियों की गाथाओं पर प्रकाश डालते हैं. परम्पराओं एवं प्रथाओं से भरपूर यह ग्रंथ परमात्मा, पशु, पक्षी एवं पेड़-पौधों का भी नमन करने का पाठ पढ़ाते हैं. इसीलिए आज भारत में पीपल के पेड़ की इतनी मान्यता है.


विशाल एवं अपनी शाखाओं को फैलाए हुए पीपल का पेड़ हमें पौराणिक कथाओं से लेकर कलयुग में भी उसके अस्तित्व की गाथा सुनाता है. पीपल का पेड़ भारत में काफी पूजनीय है जिसका सबसे बड़ा कारण है इसकी पवित्रता. इस पेड़ के नीचे बैठकर ही महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. लेकिन ऐसा कौन सा कारण है जिससे यह पेड़ हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बनी.


पौराणिक वर्णन के अनुसार यह सभी जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने एक पीपल के पेड़ के नीचे ही अपनी देह छोड़ी थी. कहते हैं पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास है. इस वृक्ष से सम्बन्धित एक पौराणिक कथा भी काफी प्रचलित है.


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यह तब की बात है जब एक बार धन की देवी लक्ष्मी माता और उनकी छोटी बहन दरिद्रा भगवान विष्णु के पास गईं. दोनों विष्णु जी से प्रार्थना करने लगी कि हम कहां रहें. उनकी पुकार सुनकर भगवान विष्णु ने दोनों को एक पीपल का वृक्ष दिया और कहा कि आप दोनों इस पेड़ पर रह सकते हो और साथ ही यह वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति शनिवार को पीपल की पूजा करेगा उसे शनि ग्रह के प्रभाव से मुक्ति मिलेगी. इसके साथ ही उस व्यक्ति पर धन की देवी की कृपा रहेगी.


आज के कलयुग के समय में लोग धन प्राप्ति एवं सुख-समृद्धि के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं. अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए ढेरों उपवास रखते हैं. मान्यता है कि महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए पीपल वृक्ष की पूजा करती हैं.


यदि पौराणिक पहलू से हटकर हम वैज्ञानिक नजरिये से पीपल के पेड़ के महत्व पर रोशनी डालें, तब भी यह पेड़ काफी उपयोगी है. वैज्ञानिकों के अनुसार इस इकलौते पेड़ से मनुष्य रात-दिन लगातार 24 घंटे तक शुद्ध ऑक्सीजन की प्राप्ति कर सकता है, जो मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होती है.


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पीपल के पेड़ की छाया शरीर को उर्जा प्रदान करती है. आश्चर्यजनक बात यह है कि इस पेड़ की छाया गर्मियों में ठंडी और सर्दियों में गर्म रहती है. इस पेड़ के पत्तों एवं फलों को विभिन्न औषधियां बनाने के लिए बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है.


पीपल के पेड़ के पौराणिक एवं वैज्ञानिक महत्व को समझने के बाद यदि हम आधारण रूप से देखें तो यह पेड़ हमारे पूरे दिनचर्या में काफी लाभदायक सिद्ध होता है. आज के तकनीकी जमाने का तो पता नहीं, लेकिन यदि आप प्राचीनकाल की बात करें तो उस समय के लोगों का जीवन ही वृक्षों पर निर्भर था. पीपल के पेड़ के पत्तों का विभिन्न रूप से इस्तेमाल करना, उसकी टहनियों एवं फलों को उपयोग करना एवं साथ ही सम्मान के लिए उसकी पूजा भी करना. यह सब पीपल के पेड़ और प्राचीन भारत की सच्चाई है. Next…


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