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क्यों प्रिय है श्रीकृष्ण को बांसुरी, इस पूर्वजन्म की कहानी में छुपा है रहस्य

आपने श्रीकृष्ण की बांसुरी बजाते हुए प्रतिमा जरूर देखी होगी. श्रीकृष्ण के द्वारा धारण किए गए प्रतीकों में बांसुरी हमेशा से सभी लोगों के लिए ज्ञिज्ञासा का केंद्र रही है. अधिकतर लोग श्रीकृष्ण बांसुरी से जुड़े हुए रहस्य और कहानी नहीं जानते. भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी में जीवन का सार छुपा हुआ है. आइए, हम आपको बताते हैं श्रीकृष्ण की बांसुरी से जुड़े तथ्य. एक बार श्रीकृष्ण यमुना किनारे अपनी बांसुरी बजा रहे थे. बांसुरी की मधुर तान सुनकर उनके आसपास गोपियां आ गई. उन्होंने बातों में लगाकर श्रीकृष्ण की बांसुरी को अपने पास रख लिया.


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गोपियों ने बांसुरी से पूछा ‘आखिर पिछले जन्म में तुमने ऐसा कौन-सा पुण्य कार्य किया था. जो तुम केशव के गुलाब की पंखुडी जैसे होंठों पर स्पर्श करती रहती हो? ये सुनकर बांसुरी ने मुस्कुराकर कहा ‘मैंने श्रीकृष्ण के समीप आने के लिए जन्मों से प्रतीक्षा की है. त्रेतायुग में जब भगवान राम वनवास काट रहे थे. उस दौरान मेरी भेंट उनसे हुई थी. उनके आसपास बहुत से मनमोहक पुष्प और फल थे. उन पौधों की तुलना में मुझमें कोई विशेष गुण नहीं था. पंरतु भगवन ने मुझे दूसरे पौधों की तरह ही महत्व दिया. उनके कोमल चरणों का स्पर्श पाकर मुझे प्रेम का अनुभव होता था. उन्होंने मेरी कठोरता की भी कोई परवाह नहीं की.


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उनके हृदय में अथाह प्रेम था. जीवन में पहली बार मुझे किसी ने इतने प्रेम से स्वीकारा था. इस कारण मैंने आजीवन उनके साथ रहने की कामना की. पंरतु उस काल में वो अपनी मर्यादा से बंधे हुए थे, इसलिए उन्होंने मुझे द्वापर युग में अपने साथ रखने का वचन दिया. इस प्रकार श्रीकृष्ण ने अपना वचन निभाते हुए मुझे अपने समीप रखा.’ बांसुरी की पूर्वजन्म की कहानी सुनकर सभी गोपियां भाव विभोर हो उठी. भागवतपुराण में श्रीकृष्ण के प्रतीकों और बांसुरी से जुड़ी हुई ऐसी ही कई कहानियां मिलती हैं.


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बांसुरी में छुपे हैं जीवन के ये 3 रहस्य

1. बांसुरी में गांठ नहीं है. वह खोखली है. इसका अर्थ है अपने अंदर किसी भी तरह की गांठ मत रखो. चाहे कोई तुम्हारे साथ कुछ भी करें बदले कि भावना मत रखो.

2. बिना बजाए बजती नहीं है, यानी जब तक न कहा जाए तब तक मत बोलो. बोल बड़े कीमती है, बुरा बोलने से अच्छा है शांत रहो.

3. जब भी बजती है मधुर ही बजती है. मतलब जब भी बोलो तो मीठा ही बोलो. जब ऐसे गुण किसी में भगवान देखते हैं, तो उसे अपना लेते हैं…Next


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