महाभारत और रामायण दोनों ही ग्रंथों ही में परशुराम का प्रसंग मिलता है. उनके बारे में बहुत-सी विचित्रता जुड़ी हुई है. ऐसा कहा जाता है कि वे विष्णु के आंशिक अवतार थे. परशुराम राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र, विष्णु के अवतार और शिव के परम भक्त थे. इन्हें शिव से विशेष परशु प्राप्त हुआ था. इनका नाम तो राम था, किन्तु शंकर द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के कारण ये परशुराम कहलाते थे. विष्णु के दस अवतारों में से छठा अवतार, जो वामन एवं रामचन्द्र के मध्य में गिना जाता है.
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जमदग्नि ने रेणुका को देखकर उसके मन की बात जान ली और अपने पुत्रों से माता का वध करने को कहा. किंतु मोहवश किसी ने उनकी आज्ञा का पालन नहीं किया.
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जमदग्नि प्रसन्न हुए और उन्होंने परशुराम से वरदान मांगने को कहा. तब परशुराम ने अपनी माता को पुनर्जीवित करने और उन्हें इस बात का ज्ञान न रहे ये वरदान मांगा. इस वरदान के फलस्वरूप उनकी माता पुनर्जीवित हो गईं. इस प्रकार परीक्षा में सफल होते हुए परशुराम न केवल मुनि को प्रसन्न कर दिया बल्कि अपनी मां को भी वापस पा लिया…Next
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