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घर के आंगन में तुलसी सूखने के हैं कई संकेत, विपत्ति से पहले करती है सावधान

लगभग हर घर में तुलसी का एक पेड़ जरुर होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे घर में शांति और सुख बना रहता है साथ ही ये भी माना जाता है कि, आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। यही नहीं भगवान विष्णु की पूजा को तुलसी पत्र के बिना अधूर माना जाता है। बिना तुलसी के श्री हरि को भोग नहीं लगता।


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पुराणों में तुलसी के पौधे का महत्व

पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। दरिद्रता, अशांति और क्लेश के बीच लक्ष्मी जी का निवास नहीं हो, ज्योतिष में इसकी वजह बुध माना जाता है।


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राक्षस को खत्म करने आए भगवान विष्णु

प्राचीन काल में जलंधर नाम का राक्षस था, उसने सारे धरती पर उत्पात मचा रखा था। राक्षस की वीरता का राज था उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रत धर्म। कहा जाता है कि उसी के प्रभाव से वह हमेशा विजय होता था। जलंधर के आतंक से परेशान होकर ऋर्षि-मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे। भगवान ने काफी सोच विचार कर वृंदा का पतिव्रत धर्म भंग करने का निश्चय किया। उन्होंने योगमाया से एक मृत शरीर वृंदा के घर के बाहर फिकवा दिया। माया का पर्दा होने से वृंदा को अपने पति का शव दिखाई दिया।


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वृंदा ने दिया श्राप

अपने पति को मृत जानकर वह उस मृत शरीर पर गिरकर रोने लगी, उसी समय एक साधु उसके पास आए और कहने लगे बेटी इतनी दुखी मत हो। मैं इस शरीर में जान डाल देता हूं, साधु ने उसमें जान डाल दी। भावों में बहकर वृंदा ने उस शरीर का आलिंगन कर लिया। उधर, उसका पति जलंधर, जो देवताओं से युद्ध कर रहा था, वृंदा का सतीत्व नष्ट होते ही मारा गया। बाद में वृंदा को पता चला कि यह तो भगवान का छल है।


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भगवान विष्णु को वृंदा का मिला श्राप

वृंदा ने इस छल के लिए भगवान विष्णु को श्राप दिया कि, जिस प्रकार आपने छल से मुझे पति वियोग दिया है। उसी तरह आपको भी स्त्री वियोग सहने के लिए मृत्युलोक में जन्म लेना होगा। यह कहकर वृंदा अपने पति की अर्थी के साथ सती हो गई। इस घटना के बाद त्रैतायुग में भगवान विष्णु ने भगवान राम के रूप में अवतार लिया और सीता के वियोग में कुछ दिनों तक रहना पड़ा।


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विष्णु और तुलसी की पूजा

यह भी कहा जाता है कि वृंदा ने विष्णु जी को यह श्राप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है, अत: तुम पत्थर के बनोगे और वही श्री हरि का शालिग्राम रूप है। इसके बाद वृंदा अपने पति के साथ सती हुई, जिस जगह वह सती हुई वहां तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। भगवान विष्णु अपने छल पर बड़े लज्जित हुए। ऐसा सुनकर विष्णु बोले, ‘हे वृंदा! यह तुम्हारे सतीत्व का ही फल है कि तुम तुलसी बनकर मेरे साथ ही रहोगी।…Next



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