दिवाली के दिन हम धन और समृद्धि की देवी माँ लक्ष्मी और बुद्धि के देवता भगवान गणेश की पूजा करते हैं। यह हम सब भली भांती जानते हैं कि कोई भी शुभ कार्य गणेश पूजन के बगैर कभी पूरा नहीं होता, गणेश जी बुद्धि प्रदान करते हैं। लेकिन बुद्धि और विवेक के प्रतीक माने जाने वाले गणेश को दीपावली वाले दिन मां लक्ष्मी के साथ क्यों पूजा जाता है इसके बारे में काफी कम लोग जानते हैं। लेकिन हमारे देश में हर त्योहार और उसे मनाने के तरीके के पीछे एक कहानी छिपी होती है। दीवाली पर गणेश और लक्ष्मी की पूजा के पीछे भी एक ऐसी कहानी है।
क्या है कहानी
ग्रंथों के मुताबिक एक बार एक वैरागी साधु को राजसुख भोगने की इच्छा जागृत हुई, इसके लिए उसने मां लक्ष्मी की आराधना शुरू की। कड़ी तपस्या और आराधना से लक्ष्मी जी प्रसन्न हुईं और उसे दर्शन देकर वरदान दिया कि उसे उच्च पद और सम्मान प्राप्त होगा। इसके बाद वह साधु राज दरबार में पहुंचा, वरदान मिलने से उसे अभिमान हो गया था। उसने भरे दरबार में राजा को धक्का मारा जिससे राजा का मुकुट नीचे गिर गया। लेकिन इसी बीच राजा के गिरे हुए मुकुट से एक कालानाग निकल कर बाहर आया। सभी चौंक गए और साधु को चमत्कारी समझकर उसकी जय जयकार करने लगे. राजा ने प्रसन्न होकर साधु को अपना मंत्री बना दिया। उस साधु को रहने के लिए अलग से महल भी दे दिया गया. राजा को एक दिन वह साधु भरे दरबार से हाथ खींचकर बाहर ले गया। यह देख दरबारी जन भी पीछे भागे, सभी के बाहर जाते ही भूकंप आया और भवन खण्डहर में तब्दील हो गया। लोगों को लगा कि साधु ने सबकी जान बचाई. इसके बाद साधु का मान-सम्मान और भी ज्यादा बढ़ गया। अब इस वैरागी साधु में अहंकार और भी ज्यादा बढ़ गया।
हटवा दी गणेश की प्रतिमा
राजा के महल में एक गणेश जी की प्रतिमा थी, एक दिन साधु ने यह कहकर वह प्रतिमा हटवा दी कि यह देखने में बिल्कुल अच्छी नहीं है। कहा जाता है कि साधु के इस कार्य से गणेश जी रुष्ठ हो गए. उसी दिन से उस मंत्री बने साधु की बुद्धि भ्रष्ट होना शुरू हो गई और वह ऐसे काम करने लगा जो लोगों की नजरों में काफी बुरे थे। इसे देखते हुए राजा ने उस साधु से नाराज होकर उसे कारागार में डाल दिया। साधु जेल में एक बार फिर से लक्ष्मी जी की आराधना करने लगा। लक्ष्मी जी ने दर्शन देकर उससे कहा कि, तुमने भगवान गणेश का अपमान किया है। इसके लिए गणेश जी की आराधना करके उन्हें प्रसन्न करो। साधु गणेश जी की आराधना करने लगा, उसकी इस आराधना से गणेश जी का क्रोध शान्त हो गया। इस घटना के बाद से मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा एक साथ होने लगी।
बिना बुद्धि के धन नहीं
गणेश भगवान को बुद्धि और सिद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि मां लक्ष्मी के घर आने के बाद अगर बुद्धि का उपयोग नहीं किया जाए तो लक्ष्मी जी को रोक पाना मुश्किल हो जाता है। इसीलिए दीवाली की शाम को मां लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश जी की प्रतिमा रखकर दोनों की साथ में पूजा की जाती है। हालांकि लक्ष्मी और गणेश की पूजा के पीछे और भी कहांनिया हैं, जिनमें ये कहा गया है कि लक्ष्मी गणेश को अपना पुत्र मानती थी इसलिए दोनों की पूजा साथ में की जाती है।..Next
Read more:
दिवाली की रात इसलिए खेला जाता है ताश!
दिवाली पर भारत ही नहीं, इन देशों में भी होती है ‘ऑफिशियल छुट्टी’
धनतेरस पर इस समय भूलकर भी न करें खरीदारी, ये है सबसे शुभ मुहूर्त
Read Comments