इंसान जीवनभर रोटी, कपड़ा और मकान के पीछे भागता है साथ ही अपने जीवनभर की कमाई को एक मकान बनाने में लगा देता हैं. परन्तु अब आपको चिंता करने की जरुरत नहीं है क्योंकि इस गंभीर समस्या का समाधान गणेशजी के पास है. यदि गणेशजी सचमुच अपने बेघर भक्तों को छत देते हैं तो कहा जा सकता है कि अब सभी लोगों के पास अपना घर हो सकता है. यह बात थोड़ी अटपटी जरुर लग सकती है लेकिन यह एक सच्ची कहानी है. इस गणेशजी के द्वार से कोई भक्त खाली हाथ नहीं जाता.
यदि आपका वर्षों से घर का सपना पूरा नहीं हुआ है तो अब जल्दी ही आपके पास अपने घर होगा. क्योंकि अब यह जिम्मेदारी जैसलमेर के पास वाले गणेशजी के हाथों में है. जैसलमेर से 12 किलोमीटर दूर स्थित भगवान गणेश जी का एक ऐसा चमत्कारिक मंदिर है जो भक्तों को घर प्रदान करता है. यहां दूर-दूर से भक्त अपने मन में एक घर की अभिलाषा लिए आते हैं.
मंदिर का इतिहास- यह मंदिर 14 सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराना है. मान्यता है कि यहाँ चंवद ऋषि द्वारा 5 सौ वर्ष तक तप किया था इसलिए इस स्थान का नाम चूंधी पड़ा था. इसके अतिरिक्त विभिन्न समय काल में विभिन्न ऋषि मुनियों ने यहां तपस्या कर इस स्थान को तप भूमि बनाया है.
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स्वतः प्रकट हुई थी मूर्ति
बरसाती नदी के बीच बना यह मंदिर आकर्षक और भव्य दिखता है. चूंधी गणेश जी की प्रतिमा को किसी कारीगर ने नहीं बनाया है. मान्यता यह है कि यह प्रतिमा स्वयं भू से प्रकट हुई थी. नदी के बीच होने के कारण बरसात के दिनों में प्रति वर्ष गणेशजी की प्रतिमा पानी में डूबी होती हैं. इस कारण से कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी से पहले बारिश होती है और सभी देवता मिल कर गणेश जी का जलाभिषेक करते हैं.
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मंदिर के दोनों तरफ दो कुंए स्थापित हैं. कहा जाता है कि इन कुओं में हरिद्वार में बहने वाली मां गंगा का जल आता है क्योंकि किवदंती है कि श्रद्धालु भक्त के रिश्तेदार हरिद्वार में गंगा स्नान कर रहे थे और वह स्वयं चुंधि के इस कुएं के समक्ष तपस्या कर रहे थे. स्नान करते समय उनके रिश्तेदार के हाथ से कंगन निकल कर गंगा में बह गया. कंगन बहता-बहता चुंधि में आ गया. गणेश जी के मंदिर के सामने राम दरबार का मंदिर भी है. जिसमें श्री राम, सीता और लक्ष्मण और अपने परम प्रिय हनुमान जी संग विराजते हैं. भगवान श्रीकृष्ण अपने बाल रूप में पालने में विराजित हो मंदिर में आने वाले भक्तों से झूला झूलते हैं. इस मंदिर के ठीक सामने शिव मंदिर है. Next…
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