हिंदू मान्यताओं के अनुसार यमराज को मृत्यु का स्वामी माना गया है। इस संसार के मनुष्यों की आत्मा लेने के लिए यमराज अपने दूतों के साथ भैंसे पर सवार होकर यमलोक से पृथ्वी पर आते हैं। आत्मा को यमलोक ले जाकर चित्रगुप्त उसके पाप और पुण्यों का हिसाब किताब साझा करते हैं। आत्मा के पापों और पुण्यों के भार आंकने के लिए यमराज की कचहरी लगाई जाती है और फिर स्वर्ग और नर्क में ले जाने का फैसला सुनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यमराज की यह कचहरी धरती पर भी लगती है। आइये जानते हैं धरती पर किस जगह और किस दिन लगती है यमराज की कचहरी।
चंबा में यमराज का मंदिर
लोककथाओं के अनुसार हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के भरमार गांव में यमराज का प्राचीन मंदिर स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि एक बार यमराज पृथ्वी पर एक मनुष्य की आत्मा को लेने आए तो वह हिमाचल प्रदेश के के पर्वतीय इलाकों से गुजरे। इस दौरान उन्हें एक पुरुष तप में लीन दिखा। उसके तप को देखकर यमराज ने खुद को कुछ समय के लिए खुद को रोक लिया। जिस जगह पर वह रुके बाद में वहां एक मंदिर की स्थापना हुई जिसे यमराज मंदिर के नाम से जाना गया।
चार धातुओं से बने चार दरवाजे
ऐसा माना जाता है कि मंदिर में चार मुख्य दरवाजे हैं जो किसी को दिखाई नहीं देते हैं। इन दरवाजों को स्वर्ण, रजत, तांबे और लोहे जैसी धातुओं से बनाया गया है। कहा जाता है कि यमराज के फैसले के बाद यमदूत आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार इनमें से किसी एक दरवाजे से ले जाते हैं। अच्छे कर्मों पर स्वर्ग जाने वालों को स्वर्ण और रजत से बने दरवाजों से ले जाया जाता है। जबकि, कुछ गलत काम करने वालों को कुछ समय के लिए कष्ट झेलने के लिए तांबे के दरवाजे से प्रवेश कराया जाता है और नर्क जाने वालों को लोहे के दरवाजे से प्रवेश कराया जाता है।
स्वर्ग या नर्क का फैसला
मान्यता है कि इसी मंदिर में यमराज प्रतिवर्ष यम द्वितीया के मौके पर पधारते हैं और अपनी कचहरी लगाते हैं। यहा बना यमराज का मंदिर एक घर की तरह बना हुआ है। इसमें दो कमरे हैं। कहा जाता है कि एक कमरे में यमराज विश्राम करते और दूसरे कमरे में महाराज चित्रगुप्त पाप पुण्य के दस्तावेज रखते हैं। इसके प्रांगण में कचहरी लगाई जाती है जहां आत्मा को नर्क और स्वर्ग में ले जाने का फैसला किया जाता है।
यम द्वितीया पर जुटते हैं श्रद्धालु
ऐसा भी कहा जाता है कि यमदूत सर्वप्रथम आत्मा को चित्रगुप्त के कमरे में ले जाते हैं, जहां चित्रगुप्त आत्मा को उसके कर्मों के बारे में बताते हैं और उसके पाप पुण्य का लेखा जोखा दिखाते हैं। इसके बाद नर्क या स्वर्ग में जाने के फैसले के लिए उस आत्मा को यमराज के कक्ष में ले जाया जाता है। इसके बाद यमराज उस पर अपना निर्णय सुनाते हैं। इस मंदिर में प्रतिवर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि भारत समेत कई अन्य देशों के लोग दर्शनों के लिए आते हैं। इस दिन यमराज की पूजा, चित्रगुप्त की पूजा और भाई दूज पर्व मनाए जाने की परंपरा है।…Next
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