भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ ‘महाभारत’ आज भी अपने अंदर कई रहस्य छिपाए है जिनसे हम अनजान हैं. यह रहस्य बेहद रोचक और हैरान कर देने वाला है. महाभारत केवल भारत का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ माना गया है. आजतक अनगिनत कथाओं, किताबों और यहां तक की मीडिया के माध्यम से भी मनुष्य को महाभारत जैसे महान ग्रंथ के बारे में अत्यंत जानकारी प्रदान की गई है लेकिन आज हम आपको इस ग्रंथ के कुछ अनछुए पहलू बताएंगे.
महाभारत के सभी पात्र श्री कृष्ण, पांडव, कौरव, द्रौपदी, भीष्म पितामा, द्रोणाचार्य, इत्यादि में से कौरवों में सबसे बड़े राजकुमार दुर्योधन ने इस युग में अहम भूमिका निभाई है. वे ना केवल कौरवों के जेष्ठ भ्राता थे बल्कि पांडवों के विरुद्ध सबसे आगे खड़े होने वाले राजकुमार भी थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका असली नाम राजकुमार दुर्योधन नहीं बल्कि राजकुमार सुयोधन है.
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राजकुमार दुर्योधन बाल आवस्था से ही पांडवों को पसंद नहीं करते थे. वे दिल से उन्हें अपना भाई भी नहीं मानते थे. इतने कठोर दिल के होने के बावजूद भी उन्होंने मरते दम तक अपनी पत्नी भानूमति से किया एक वचन नहीं तोड़ा था. भानूमति कभी नहीं चाहती थी कि उनकी जगह कोई अन्य स्त्री ले इसलिए उसने दुर्योधन से यह वचन लिया था कि वे उनके अलावा किसी और स्त्री से विवाह नहीं करेंगे. यही कारण है कि द्रौपदी के स्वयंवर में दुर्योधन शामिल नहीं हुए थे.
पांडवों और कौरवों के बीच हुए कुरुक्षेत्र युद्ध को समस्त संसार भली-भांति जानता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि सभी कौरव भाई इस युद्ध के पक्ष में नहीं थे. महराज धृतराष्ट्र के दो पुत्र- राजकुमार विकर्ण और राजकुमार युयुस्त ने जुए के खेल में दुर्योधन द्वारा द्रौपदी को लज्जित करने का विरोध किया था.
यह भी सत्य है कि कौरवों द्वारा रचा गया जुए का खेल असल में अकेले कौरवों का षड्यंत्र नहीं था बल्कि इसके पीछे दिमाग कौरवों के शकुनी मामा का था. शकुनी ने अपने फायदे के लिए यह खेल रचा था. वो कौरवों और पांडवों का युद्ध करवा कर हस्तिनापुर का अस्तित्व ही मिटाना चाहता था. ऐसा करके वो अपनी बहन और उसके परिवार पर हुए अत्याचार का बदला लेना चाहता था…..next
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