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प्रेम दिवस पर खास ‘दोहे’ : अरुन शर्मा ‘अनन्त’

दास्ताँने दिल
दास्ताँने दिल
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प्रेम दिवस में मस्त हो, भूल गए माँ बाप ।
त्रुटियों का आभास ना, और न पश्चाताप ।१।

बदली संस्कृति सभ्यता, बदला है अंदाज ।
संबंधो पर गिर रही, परिवर्तन की गाज ।२।

मैली मन की भावना, दूषित हुए विचार ।
है क्षणभंगुर आजकी, नव पीढ़ी का प्यार ।३।

आजादी है नाम की, नाम मात्र गणतंत्र ।
व्यापित केवल देश में, पाप लोभ षड़यंत्र ।४।

हुआ मान सम्मान का, बंधन है कमजोर ।
बढ़ता जाता है मनुज, स्वयं पतन की ओर ।५।

मानव मस्ती मौज औ, मय की मद में चूर ।
अपने ही करने लगा, जख्मों को नासूर ।६।

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