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ग़ज़ल – मौत के साथ आशिकी होगी

दास्ताँने दिल
दास्ताँने दिल
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बह्र-ए- खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून

मौत के साथ आशिकी होगी,
तब मुकम्मल ये जिंदगी होगी,

उम्र का ये पड़ाव अंतिम है,
सांस कोई भी आखिरी होगी,

आज छोड़ेगा दर्द भी दामन,
आज हासिल मुझे ख़ुशी होगी,

नीर नैनों में मत खुदा देना,
सब्र होगा अगर हँसी होगी,

आखिरी वक्त है अमावश का,
कल से हर रात चाँदनी होगी.

अरुन शर्मा ‘अनन्त’

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