दास्ताँने दिल
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बह्र-ए- खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
खूबसूरत हँसी परी होगी,
सोचता हूँ जो जिंदगी होगी,
सादगी कूटकर भरी होगी,
श्याम जैसी वो साँवरी होगी,
ख़त्म कर लें विवाद आपस का,
जिस्म में जान जब नही होगी,
शांत चुपचाप दोस्त रहने दो,
सत्य बोलूँगा खलबली होगी.
अरुन शर्मा ‘अनन्त’
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