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ग़ज़ल – इश्क है या कोई बिमारी है

दास्ताँने दिल
दास्ताँने दिल
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बह्र-ए- खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून

बात क्या है जो रात भारी है,
इश्क है या कोई बिमारी है,

जान लेती रही हमेशा पर,
याद तेरी बहुत दुलारी है,

मौत से डर के लोग जीते हैं,
जिंदगी ये ही सबसे प्यारी है,

हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन,
सादगी फूल सी तुम्हारी है,

हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा हो या भिखारी है.

अरुन शर्मा ‘अनन्त’

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