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आप रोज़ सोशल मीडिया, न्यूज़ और अख़बार में पढ़ते होंगे कि कैसे देश में धर्म के नाम पर अशांति और गुस्सा भरा हुआ है। ये सब सुन और पढ़कर आपको भी गुस्सा आता होगा, तब आपको चाहिए कि आप सोशल मीडिया, न्यूज़ और अख़बार की सच को समझें कि मीडिया सिर्फ नकारात्मक खबर से ही चलता है। सही खबर समझने के लिए आपको अपने आसपास के लोगों से मिलना होगा। ये एक कहानी जो सच को बयां करती हैं…
उसकी बहन उसे बस में बैठाने आई। शायद वो पहली बार अकेले यात्रा कर रही थी। उसने बहन से कहा कि ड्राइवर और कंडक्टर से कहो कि मुझे अन्धन्य मोड़ (उसका स्टॉप) पर उतार दें। बहन ने कहा दिया। बस चल पड़ी धीरे–धीरे यात्री उतारते रहे। उसने कंडक्टर से पूछा कि मेरा स्टॉप कब आयेगा। कंडक्टर ने भोला सा मुंह बनाकर कहा यह बस उस रास्ते से नहीं जाती, जहां आपको जाना है। आपको बस बदलनी होगी, फिर तो बस में ग़दर मच गया।
उस औरत को जितनी गलियां आती थी, उसने ड्राइवर और कंडक्टर को दे दी। सहयात्रियों ने सहानभूति जताई। कुछ लोगों ने जाने का रास्ता समझाया पर समस्या ये थी की उसके पास रुपये नहीं थे। सब समझा रहे थे, तभी उसकी सीट के पीछे से एक महिला ने उसकी तरफ कुछ रुपये देते हुए कहा, रो नहीं हम आपके साथ है। लाल बिंदी, चूड़ी और साड़ी पहनी उस महिला ने धन्यवाद भरी नज़रों से उस बुरखा पहनी औरत को देखा।
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