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उन लडकियों की शादी…..

विचार मंथन
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भारतीय समाज में शादी-विवाह का विशेष महत्त्व होता है, शादी को सबसे महत्वपूर्ण रस्म माना गया है, यह कितना महत्त्वपूर्ण विषय है और हर भारतीय के लिए कितना जरुरी है, ये मुझे कुछ ही समय पहले पता चलाI कहानी कुछ ऐसी है की मेरे भाई का दो साल का बेटा जो तुतला कर बोलता है चलते–चलते गिर पड़ता है हर समय कुछ नया सिखने की कोशिश मे घर में तबाही मचाये रखता हैI उसके दादा जब भी उसके साथ खेलते है ,तो दो साल के अपने पोते को कहते है बड़ा हो कर तू दूल्हा बनेगा घोड़ी चड़ेगा और खूब सारा दहेज़ लेगाI शादी की शिक्षा-दीक्षा बहुत ही छोटे उम्र से शुरू हो जाती हैI हमारे देश में कोई कुछ बने या न बने दूल्हा –दुल्हन जरूर बनता हैI लगता है शादी बहुत जरुरी है चाहे परिस्थिति किसी भी तरह की हो शादी से बढ़कर कुछ नहीं, गत दिनों मे कुछ घटनाएँ ऐसी घटी की मैं सोचने पर मजबूर हो गई की “क्या उन लडकियों की शादी बहुत जरुरी थी उस समय”?

पहली घटना

घर में शादी का खुशहाल मोहोल था, बाप-माँ ने बड़े ही कोशिशो से इतने संसाधन जुटा लिए थे की अपनी लड़की की शादी कर सके,लड़का ढूँढा गया, लड़के के घरवालो को लड़की और दहेज दोनों पसंद आए, शादी की तारीख तय हो गई हलाकि की लड़की की स्कूल की परीक्षा सर पर है पर शादी जरुरी हैI गरीब घर के बच्चों को जल्दी बड़ा होना पड़ता है ताकि को घर को संभाल सके इस लिहाज से वो लड़की भी बड़ी हो गई थी, अकेली बहन चार भाइयो में, वो तीसरे स्थान पर थी पर घरवालो के लिए वो सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी जिसे निपटाना जरुरी था I शादी की ख़ुशी घर- आँगन, रिश्तेदार और गाँव के लोग सब में एक सामान फली थी, रिश्तेदार-परिवार सब मिलकर काम कर रहे थेI छोटे से घर में ही सारा काम हो रहा था, कोई गीत गा रहा था,कोई शादी की रस्म निभा रहा था और उसी आँगन के कोने में रसोइयाँ शादी की मिठाई बना रहे थेI मगंल गीत सुने दे रहे थेI मिठाईयां की खुशबू चारो तरफ फैली थीI

तभी किसी रसोइये के आवाज़ ज़ोर से सुनाई दी “सिलेंडर का रेगुलेटर बंद करो,जल्दी करो” जहाँ मिठाई बन रही थी उस जगह आग की बड़ी लपट दिखाई दे रही थी, आग एक सिलेंडर से दुसरे मे इतनी जल्दी फैली की कोई कुछ कर ही न सका, सब भाग रहे थे, जैसे –तैसे सिलेंडर का रेगुलेटर बंद कर आग पर काबू पाया गया तब जाकर पता चला की कितना नुकसान हुआ है, शादी का सारा सामान राख होया गया था I घर लगभग आधा जल चुका थाI और मिठाई के पतीले में मिठाई की जगह इन्सान के मॉस तैर रहे थे, कोई ज़मीन पर पड़ा चिल्ला रहा था कोई होश में नहीं था, कुल मिलकर पन्द्रह लोग जले,लड़की के दो भाई और पिता समेतI शादी का घर अब मातम के घर में बदल चुका था, सभी घायलों को जिला अस्पताल ले जाया गया कुछ का इलाज कर के डॉक्टरों ने करीब दस घायलों को राज्य के सबसे बड़े अस्पताल भेज दियाI
घर में मातम पसरा था कल शादी है, सब कुछ जल गया पिता –भाई अस्पताल मे है, लड़की और उसका परिवार सदमे में था क्या हो गया? शादी कैसे होगी? सब ने कहा की शादी रोक दी जाए पर कुछ लोगो के कहने पर शादी की तै तारीख को किसी दुसरे के घर में मंडप बनाया गया खाना का प्रबंध किया गया लड़की का कन्यादान गाँव के ही चाचा ने किया, शादी रोकी नही गई I शादी के दो दिनों के बाद लड़की के छोटे भाई की मौत हो गई, कुल मिलकर छह लोग चल बसेI

इतनी बड़ी घटना के बाद भी लोगो ने शादी नहीं टाली, अधिकतर लोग शादी के पक्ष में नहीं थे पर जो थे उनका कहना था अगर इस लड़की की शादी आज नहीं होती तो कोई फिर इससे शादी नहीं करता उस लड़की को एक अभिशाप माना जाता, इसलिए उसकी शादी जरुरी थीI

दूसरी घटना

मेरे ही ऑफिस में काम कर रहे व्यक्ति की है, उनकी बेटी जो अभी बारहवी में पढ़ रही है उसकी शादी तै थी,
वो बहुत अधिक नहीं कमाते घर का गुजरा गाँव से अनाज ,दाल,तेल, मसाले और सब्जी ला कर करते है ,रिश्तेदार के घर की देखभाल करते है इसलिए किरया नहीं देना पड़ता है, कुल मिलकर आठ-दस हज़ार की मासिक कमाई हैI
उनकी लड़की पढ़ने में अच्छी है,पर आजकल अधिकतर मोबाईल फोन पर अपने होने वाली पति से बात करती हुई देखाई देती हैI
जब शादी नजदीक आई तो उन्होंने सभी साथी कर्मियों से पैसे उधार देने को कहा, पूरे दस दिनों तक वो लोगो की खुसामती करते रहे की उन्हें पैसे उधार मिल जाए,कुलमिला कर शादी में दहेज के साथ पांच से सात लाख रुपए खर्च किया, उन्होंने क्या –क्या बेचा पता नहीं? पर अपनी बेटी की शादी की I पूछने पर बताया की अभी अगर शादी नहीं करेगें तो आगे और अधिक दहेज़ देना होगा इसलिए उनकी लड़की की शादी जरुरी थीI

ऐसे बहुत से सवाल होते है जिसे समाज और कानून की कसौटी पर एक साथ नहीं तौला जा सकता, जब शादी की बात आती है तो परिस्थिति को देखकर लोग फैसला लेते हैI अक्सर शादी को भगवान का सबसे पुण्य काम मान कर किया जाता है I उस समय समाज और कानून को दरकिनार कर दिया जाता है

और ऐसी शादी जरुरी होती जाती है ???????

रिंकी

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