Menu
blogid : 282 postid : 825917

वात्सल्य (कविता)

मेरी कहानियां
मेरी कहानियां
  • 215 Posts
  • 1846 Comments

वात्सल्य

*******

एक चपत

लगाकर

तुम्हारे गालों पर

किया शांत

अपने क्रोध का

लुढ़कते

आंसू तुम्हारी

ह्रदय को चीरता

मेरा पश्चताप

कुछ देर बाद

फिर तुम्हारे

मीठे बोल “माँ “

शब्द का …

विह्वल

होता मेरा हृदय

और

आगोश में फिर

तुम

उष्णता लिए

चूमता माथा

आह्लादित

तुम और

स्नेह लुटाती

वही मैं ……।

************

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh