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वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे। अपनी यात्रा के दौरान वे दोनों पकिस्तान सरकार से यह कह रहे थे कि मोदी को हराने में पाकिस्तान उनकी पार्टी की मदद करे। भारत के किसी भी राज्य में चुनाव हो रहे हों, उस समय पकिस्तान सीमा पर सीज़फायर का उल्लंघन करके भारत सरकार को परेशान करने की नाकाम कोशिश करता है। वह एक तरह से कांग्रेस पार्टी की मदद ही समझी जानी चाहिए। दरअसल, अपने इन्ही कर्मों के चलते कांग्रेस पार्टी राजनीति में एकदम हाशिये पर आ चुकी है, लेकिन कांग्रेस पार्टी और उसके नेता इस संकट से उबरने की बजाये और नए-नए कर्म करके राजनीतिक दलदल में फंसते जा रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी और उसके नेता शायद यह समझते हैं कि वे किसी भी दुश्मन देश की सरकार से मोदी को हराने के लिए मदद मांगेंगे, तो देश की जनता बहुत खुश होगी और उन्हें वोटों से मालामाल कर देगी। लेकिन अब देश की जनता पहले से बहुत ज्यादा समझदार हो चुकी है और कांग्रेस पार्टी व उसके नेताओं की इन देशद्रोही हरकतों पर गंभीरता से संज्ञान लेकर इस पार्टी को समुचित दंड देती रहती है।
आज अगर भाजपा की केंद्र के अलावा ज्यादातर राज्यों में सरकारें बनी हुयी हैं, तो उसका मुख्य कारण यह भी है कि लोग देशद्रोह की राजनीति से अब ऊब चुके हैं। कांग्रेस पार्टी के साथ दुर्भाग्यवश ऐसी स्थिति बनी हुयी है कि उसे किसी और तरीके की राजनीति करना आता ही नहीं। जनता के सामने और कोई राष्ट्रवादी विकल्प न होने की वजह से भाजपा को ही अधिकांश देशभक्त जनता का वोट जाना लगभग तय माना जाता है। उसी के चलते भाजपा की सरकारें लगभग सभी राज्यों में बनती जा रही हैं।
अब खबर यह आ रही है कि कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की चीनी राजदूत से गुपचुप मुलाक़ात की खबर पहले तो चीनी दूतावास की वेबसाइट पर पोस्ट की गयी और फिर उसे आनन फानन में हटा भी लिया गया। राहुल गांधी के चीनी राजदूत से मिलने में किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, लेकिन जिस तरह से राहुल की चीनी राजदूत से मिलने की खबर पर संशय बना हुआ है और उसे शायद छिपाने का प्रयास भी किया जा रहा है। उससे देश की सवा सौ करोड़ जनता के मन में यह सवाल खड़ा हो गया है कि कहीं राहुल गांधी भी तो सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर के क़दमों पर तो नहीं चल रहे हैं ?
दुर्भाग्य की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने इस विवादित मुलाक़ात पर सफाई देने की बजाय इस मुलाक़ात को ही सिरे से नकार दिया है। कांग्रेस पार्टी इस मुलाक़ात को छिपाने का जितना ज्यादा प्रयास कर रही है, उतने ही अधिक सवाल इस पार्टी और नेताओं पर उठ रहे हैं, जिनका आज नहीं तो कल जवाब तो देना ही पड़ेगा। जवाब कांग्रेस पार्टी की तरफ से नहीं आया, तो गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में जनता ही इस पार्टी को अपना जवाब दे देगी।
इस लेख के लिखते-लिखते खबर यह भी आ रही है कि कांग्रेस पार्टी ने जबरदस्त यू-टर्न लेते हुए इस चोरी छिपे की गयी मुलाक़ात को कबूल कर लिया है, लेकिन मुलाक़ात क्यों हुयी और किस उद्देश्य के लिए की गयी, इस पर अभी भी चुप्पी लगाई हुयी है।
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