मोदी ने अगर कुछ नहीं किया तो विपक्ष बेचैन क्यों है ?
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मोदी सरकार को सत्ता संभाले लगभग ४ साल का समय पूरा हो चूका है. मोदी सरकार बनने से पहले देश में ज्यादातर समय या तो कांग्रेस पार्टी का शासन था या फिर कांग्रेस के समर्थन से चलने वाली सरकारों का शासन था. कांग्रेस और इसके समर्थन से चलने वाली सभी सरकारों ने देश को जी भरकर लूटा और अपने जबरदस्त भ्रष्टाचार और कुशासन से देश को लगभग महाविनाश के कगार पर पहुंचा दिया. क्योंकि पिछले ६०-७० सालों से कांग्रेस और उसके सहयोगी मिल बांटकर देश को लूट रहे थे,मोदी सरकार के आने से इन सबकी कमाई भी बंद हो गयी और इन लोगों के समर्थन और सहयोग से चलने वाली वे सभी दुकाने भी बंद हो गयीं, जो सामाजिक कार्यकर्त्ता, अर्थशास्त्री , फिल्मकार, इतिहासकार और कलाकार आदि के नामों से चल रही थीं. यह सभी लोग “अवार्ड वापसी गैंग” का हिस्सा बन गए और अपनी दुकानों के बंद होने के विरोध में अपने अपने अवार्ड भी वापस करने लगे.
देखा जाए तो इन विपक्षी राजनीतिक दलों को भारी नुक्सान का सामना करना पड़ा है. किसी भी व्यक्ति ने बड़ी मुश्किल से पिछले ६०-७० सालों में जनता को निर्ममता से लूटने की जो दुकाने खोल रखी हों, अगर उन्होंने अचानक ही बंद करना पड़ जाए तो उसकी पीड़ा को कोई भ्रष्ट-देशद्रोही ही समझ सकता है. इनके नुक्सान को मोदी सरकार ने तब कई गुना और बढ़ा दिया जब नोटबंदी, जी एस टी, बेनामी कानून और आधार को पैन कार्ड से जोड़ने की कवायद भी सरकार ने शुरू कर दी. पहले तो इन भ्रष्ट-देशद्रोहियों की समस्या यह थी कि मोदी के आने से इनकी आगे की कमाई बंद हुई थी, लेकिन नोटबंदी, जी एस टी, बेनामी कानून और आधार से पैन कार्ड को जोड़ने का मतलब यह हुआ कि इन लोगों ने पिछले ६०-७० सालों के कुशासन में जो काला धन इकठ्ठा किया था, उसके भी पकड़ में आने की पूरी संभावनाएं बनने लगीं.
मोदी सरकार के इन कड़े फैसलों से घबराये यह लोग जनता को पिछले ४ सालों से लगातार गुमराह किये जा रहे हैं कि मोदी सरकार ने कोई काम नहीं किया है. अगर मोदी सरकार ने वास्तव में कोई काम नहीं किया है तो उसका फैसला जनता एक साल बाद कर ही देगी और उसके लिए तो विपक्ष के नेताओं और पार्टियों को तो खुश होना चाहिए कि चलो मोदी ने कुछ काम नहीं किया है, लिहाज़ा २०१९ में जनता मोदी को हटाकर इन्हे सत्ता में वापस ले आएगी ताकि यह लोग अपनी लूट का सिलसिला एक बार फिर से शुरू कर सकें. लेकिन इन राजनीतिक दलों और इनके नेताओं को भी मालूम है कि इन लोगों की २०१९ के चुनावों में जमानत जब्त होने वाली है. इसका सबसे बड़ा सुबूत यही है कि यह सारे के सारे राजनीतिक दल सिर्फ अकेले मोदी को हराने के लिए “ठगबंधन” बनाकर चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं. अगर मोदी ने कुछ काम ही नहीं किया है तो फिर इस “गठबंधन” या “ठगबंधन” की क्या जरूरत है ?
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