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मैं

रोहित सिंह काव्य
रोहित सिंह काव्य
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कभी-कभी खुद को मै समझ नही पाता,
जिससे कोशिश करता हुँ रहने को दुर उसके पास चला जाता,
क्या है मेरे दिल मे यह मुझको खुदको समझ नही आता,
कोशिश करता हुँ हमेशा खुद को समझने कि,
पर हमेशा इस काम मे मै नाकाम सा हो जाता ||

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