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व्यंग्य: दिल्ली का चुनाव बना ‘मजाकी-दंगल’

रोहित श्रीवास्तव
रोहित श्रीवास्तव
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अगर आप दिल्लीवासी हैं तो मैं आपकी मन की दिशा एवं दशा दोनों समझ सकता हूँ। जरूर आपके मन मे चल रहा रहा होगा ‘अबकी बार…. किसे वोट डालु यार’। राजधानी का मतदाता कुछ इस तरह से कन्फ्युज हो गया है कि वो सोच रहा है “वोट किसे दें….और नारे किसके लगाए। जी ऐसा इसलिए, क्योंकि यह चुनाव, राजनीतिक-चुनाव कम एक ‘मजाकी’ दंगल जरूर बन गया है। वास्तव मे सभी राजनीतिक पार्टियां एक शॉपिंग साइट बन कर रह गयी हैं। ‘बीजेपीसाइट’ है जो ज्यादा लुभावने ऑफर तो नहीं देती पर ‘माल की गारंटी’ की बात करती है, आपसाइट है जो एक से एक लुभावने ऑफर दे रही है पर उसके माल की गारंटी 49 दिन से ज्यादा नहीं है, आखिर मे काँग्रेससाइट है जिसके ‘माल’ को पब्लिक ने एकदम से रिजैक्ट कर दिया है फिर भी उनकी ओर से ‘पॉलिटिकल-मार्केट’ मे बने रहने की कोशिश जारी है।

ब मतदाता के मन मे क्या चल रहा है वो तो वही जाने। जैसे हर लड़की की दी हुई मुस्कान प्यार नहीं होती…. वैसे ही रैली की भीड़ मे आया हुआ आदमी जरूरी नहीं उन्ही को वोट दे। अरे एंटर्टेंमेंट मतबल ‘मनोरंजन’ नाम की भी कोई चीज़ होती है भाई।

सच कहूँ मुझे काँग्रेस की हालत उस बूढ़े गरीब बाप की तरह लगती है जो किसी जमाने मे अमीर हुआ करता था, और आज गरीबी आने पर अपने बच्चो द्वारा दुतकारा और छोड़ा जा रहा है। इतने मे भी अगर काँग्रेस के एक प्रवक्ता ‘दिमाग खाऊ’ चैनल के फ्यूज-आवर शो पर यह बोल दे की आप और बीजेपी वाले काँग्रेस पार्टी से डरे हुए हैं तो अरनब जैसे शांत स्वभाव वाले गंभीर और सज्जन आदमी की हंसी छूट जाना लाज़मी है।

बीजेपी ‘पार्टी विद ए डिफ़्रेंस’ नहीं ‘पार्टी विथ डिफरेन्सेस’ हो गयी है। अब ऐसी कौन सी आकाशवाणी हुई की पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने ‘मैडम बेदी’ को कुछ घंटो मे ही ‘सीएम उम्मीदवार’ बना दिया। अरे कोई सतीश उपाध्याय जैसे बलदानी के दिल से पूछो जिन्होने पार्टी के हितो को ध्यान मे रख कर खुद तक को टिकट नहीं दिया। राजनीतिक विशेषज्ञो की माने तो बीजेपी का बाहर से आने वाले लोगो को ज्यादा वरीयता देकर टिकट देना एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, दरअसल पार्टी अनाधिकृत और अनौपचारिक तरीके से ‘घर-वापसी’ के मुद्दे को पुनर्बलन करना चाहती है। चलिये जिन्हे टिकट नहीं मिला वो खुद को ‘घर की मुर्गी …दाल बराबर भी समझ सकते हैं।

इस बीच राहुल गांधी लापता हैं, पार्टी प्रवक्ता की तरफ से बयान आया है कि वह आगामी विधान सभा के चुनाव मे काँग्रेस को बुरी तरह हराने के लिए कड़ी मेहनत जोरों-शोरों से कर रहे हैं। उन्होने यह भी कहा कि काँग्रेस की हार मे राहुल बाबा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायंगे। काँग्रेस खात्मे की ओर है और अगर भविष्य मे ऐसा होता है तो मीडिया इसके पीछे दिग्विजय सिंह (जो हर बात मे आरएसएस का हाथ बताते हैं) का हाथ बता सकती है क्योंकि ‘इस खात्मे के पीछे’ राहुल बाबा…… ‘राहुल बाबा के पीछे डिग्गी राजा’ मतलब जिसने बजाया काँग्रेस का बाजा वो है ‘डिग्गी राजा’… वो हैं डिग्गी राजा”।

अंत मे यही कहूँगा इन प्रिय-भोले नेताओ से “ यह पब्लिक है …ये सब जानती है…..फेक अकाउंट कौन सा है…. और रियल अकाउंट कौन सा है। फिर भी देखने वाली बात होगी कि इन धुरंधरों मे कौन बाजी मार पाता है। पर जीत उसी की होगी जो अपनी बात जनता के मन के ‘इनबॉक्स’ तक पहुंचा पाएगा।

व्यंग्यकार: रोहित श्रीवास्तव

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