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गौरतलब है अमेरिका के ‘चाहत’ की शादी भारत की उम्मीदों से है। पिछले साल ही बराक ओबामा और मोदी ने इस ‘रिश्ते’ को हरी झंडी दिखाई थी। तबसे से ही सारी दुनिया की निगाहे मानो इस ‘महा-शादी’ की तरफ टिकी हुई थी। वैसे आपको बता दे हर शादी की तरह, इस शादी मे भी ‘मांगो’ पर पहले काफी वाद-विवाद हुये थे पर फिलहाल समझौतो के संग ‘डोली’ उठने को तैयार है, अब बस बारात का भव्य-स्वागत-सत्कार ठीक से होकर ‘विदाई’ हो जाए तो समझो रामजी की कृपा से बात बन जाए।
अमेरिका की ‘दहेज’ मे वैसे कोई खास बड़ी ख्वाहिश नहीं, बस उनके अनुरूप बहुत समय से लंबित ‘न्यूक्लियर डील’ फ़ाइनल हो जाए, वहीं भारत भी उम्मीद लगाए बैठा है कि यूएस के समर्थन के साथ, रिश्ते की एवज मे उसे संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद मे सदस्यता मिल जाएगी। खैर देखने वाली बात होगी कि यह रिश्तेदारी कहाँ तक जाती है क्योंकि इस रिश्ते से जलने और भांड मारने वाले लोगो की कमी नहीं है। ‘पाकिस्तान’ तो कतई नहीं चाहता की यह रिश्ता बढ़े और फले-फुले।
यहाँ दिल्ली मे इस शादी को लेकर उत्साह और उमंग अपने ही चरम पर है। एक तरफ विनीतकर्ता नरेंद्र मोदी अपने मेहमान ओबामा के स्वागत मे कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते वहीं दूसरी तरफ प्रेसिडेंट बराक भी पीएम नरेंद्र से मिलने को कम उत्साहित नहीं नज़र आ रहे हैं। सुनाई तो यह भी पड़ रहा है कि मोदी अपने पुराने रीति-रिवाज की बेड़ियो को तोड़ते हुए अपने मेहमान को रिसीव करने एयरपोर्ट पर भी जा सकते हैं।
आपको बता दे आयोजन-स्थल पर अमेरिकी बरातियों का स्वागत ‘घराती-दर्शनाभिलाषियो’ का एक समूह करेगा जिसका प्रत्येक सदस्य पीएम मोदी द्वारा गुप्त रूप से मनोनीत किया गया है। भारत सरकार ओबामा के स्वागत के लिए स्वागतकांक्षी के तौर पर उनके सबसे प्रिय ‘आज़म खान’ और ‘शाहरुख खान’ को एयरपोर्ट पर भेज सकती है। खबर यह भी है की ‘राहुल बाबा’ ने भी एयरपोर्ट जाने की जिद पकड़ रखी है की वो जाएंगे ‘ओबामा अंकल को लाने’।
मुझे शक है पीएम मोदी ओबामा को खुश करने के लिए उनके चाहिते मनमोहन सिंह को ही एयरपोर्ट पर न भेज दे। उनसे बेहतर ‘ओबामा’ और ‘राहुल बाबा’ का वैसे भी वहाँ कौन खयाल रख सकता है।
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