Menu
blogid : 4690 postid : 7

जिजीविषा

Roshan Vikshipt
Roshan Vikshipt
  • 5 Posts
  • 4 Comments

जिजीविषा

निरन्‍तर दौड़ती रहती है

कभी सीढि़यो पर

उतरते चढ़ते ,

वार्ड में प्रतीक्षा करते

स्‍ट्रेचर पर लेटे

व्‍हील चेयर पर

और

आप्रेशन थियेटर में,

जिजीविषा

निरन्‍तर देखती रहती है

सिरंज में बूंद बूंद रक्‍त

और

सह लेती है

डायलसिस की वेदना,

नर्सो की

अनावश्‍यक डांट,

जिजीविषा

महाप्रस्‍थान कभी नहीं चाहती

वो कहती है

यम से

तुम ज़रा

रूकों

अभी बहुत काम करने है मुझे ।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh