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वक़्त से आगे

lets free ur mind birds
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ना तो सुख की आस है,
ना तो दुःख का अहसास है ….

मान अपमान की भी चिंता नहीं,
ना ही सपना देखती है ये आंखे कोई
उम्मीद भी कोई जिन्दा नहीं….

अपनों की भी फ़िक्र नहीं,
ना ही परवाह बेगानों के तानो की..
किसी के आंसूं से भी अब मन बेचैन नहीं होता
कोई हँसता हुआ चेहरा भी दिल का सकून नहीं…

अब ना कोई रास्ता है ना ही किसी मंजिल की तलाश,
हर तरफ खामोशी सी है , आती नहीं कोई आवाज

मैं वक़्त की भी अब मोहताज नहीं
मेरे लिए अब कोई भी अहसास नहीं….

अब मुझे आवाज ना दो ना बुलाना कभी
मैं वक़्त से बहुत आगे निकल चुकी हूँ,
इस वक़्त के हाथों से फिसल चुकी हूँ,

क्यों की मैं अब एक जिस्म नहीं हूँ,
मै जिस्म से आत्मा मे बदल चुकी हूँ …..
हाँ ये सच है, मै वक़्त से आगे निकल चुकी हूँ ……………………

(रौशनी)

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