lets free ur mind birds
- 53 Posts
- 2418 Comments
जिन्दगी से जीने की ख्वाइश भी नहीं की,
मौत को आने की सिफारिश भी नहीं की…..
रूह पे करता रहा वो जुलम हर तरह,
दिल ने जरा सी राहत की गुजारिश भी नहीं की…..
जल गया सीना, जिस्म पे पड़ गए छाले,
उन पत्थर सी आँखों ने जरा सी बारिश भी नहीं की…..
वो साहिल पे बैठा था और फिर भी बह गया,
समंदर ने लगता है कही कोई साजिश तो नहीं की…..
अपनी निगाह से वो सवाल कर के चल दिया,
और मेरे इक जवाब की चाहत भी नहीं की…..
रौशनी क्यों शब्द तुझ से रूठ गए है,
सोचो के परिंदों ने कही बगावत तो नहीं की…..
Read Comments