lets free ur mind birds
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हिन्दू, सिख या चाहे तो मुसलमान तू बन जा,
मगर ऐ आदमी पहले जरा तू इंसान तो बन जा.. !!!!!!!
धर्म के नाम पर तूने तोड डाले है कितने घर,
उन उजड़े ख़ाली घरों का इक बार सामान तो बन जा..!!!!!!
दिलो को, रूहों को जखम देना है आसान तेरे लिए
जरा दुखते हुए दिलों का इक बार आराम ही बन जा..!!!!!!
किस लिए मंदिर मस्जिद की ताबीर करता है,
सहारा दे के बेसहारों को तू इनका भगवान ही बन जा..!!!!!!
धर्म की, जात की, गहरी खाई से निकल कर तू,
आने वाली नस्ल के लिए इक पहचान तू बन जा..!!!!!!
चल अब छोड़ सब गिले बहुत देर हो चुकी
उदास चेहरा लिए जो इंतज़ार में है तेरी,
उन उदास होठों की मुस्कान तू बन जा..!!!!!!
ऐ आदमी पहले ज़रा इंसान तो बन जा..!!!!!!
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