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इक पहेली सी हूँ

lets free ur mind birds
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images (1)इन दिनों मसरूफ हूँ मै खुद की तलाश में
सागर किनारे लड़ रही हूँ अपनी ही प्यास से…..
देखो जरा गगन की ओर टूटने लगे तारे,
हाथ किसी ने बढ़ाया होगा पूरे विश्वास से…..
उड़ने लगती हूँ बिना पंखो के मै यूँही,
वो हवा सा जब भी गुजर जाता है पास से…..
एक दिन मिल जाते है बिछड़े हुए सभी,
ए–काश वो भी मिल जाये इसी इत्तेफाक से…..
मिलता नहीं है हमजुबां चुपी है फैली चारसूं,
‘अजनबी से हो गए है अपनी ही आवाज से…..
मै जाऊँगा कहाँ ये तो बता दे मेरे सनम,
गर निकाल दिया तुने मुझे दिल की किताब से…..
एक पहेली सी हूँ मै हर शख्स के लिए,
बस तू ही वाकिफ है ऐ खुदा रौशनी के राज से….
..

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