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उस रोशनदान पर कबूतरों का वह जोड़ा शायद पिछले ३ साल से रह रहा था.. खामोश से लोगों के बीच जब वे अपने पंख फडफड़ा कर उड़ते तो महसूस होता जैसे अभी भी जिन्दगी बाकी है..वीरान से उस घर की रौनक ये कबूतर मोहल्ले की हर छत पर आते जाते रहते, भाईचारा दिखाते .. बेशक मोहल्ले के लोग आपस मैं एक दूसरे से न बोलें, न मिलें मगर वे कबूतर सबसे मिलने जाते ..इन तीन सालों मैं उन दो कबूतरों ने घर को छोटे छोटे न जाने कितने बच्चों से भर दिया और आज फिर से उनके घोंसले में सुबह देखा तो ३ अंडे थे जो नवजीवन का इंतज़ार कर रहे थे , अँधेरे से उजाले में आने के इंतज़ार में न जाने वे उस छोटे से खोल में कैसे रहते थे ?
आज सुबह उस घर में रहने के लिए एक परिवार आने वाला है .. उसका मुखिया घर की साफ़ सफाई करवा रहा है .. अपना नया जीवन शुरू करने के लिए .. अपने परिवार के साथ आबाद होने के लिए … चलो अच्छा है इस घर में कोई तो आया .. मगर तभी उन कबूतरों का शोर सुनाई दिया आज कुछ ज्यादा ही शोर कर रहे थे न जाने क्या हुआ था … जल्दी से बाहर आकर देखा तो उनका घोंसला रोशनदान पर नहीं था बल्कि बिजली की तारों के ऊपर रखा पड़ा था.. और ये सब उस घर के नए मालिक ने किया था .. सब कबूतर चिल्ला रहे थे और वह आदमी बोला ये यहाँ गंदगी फैला रहे है मेरा रोशनदान और घर गन्दा कर रहे है इसलिए मैंने इसे हटा दिया .. मैंने बहुत दुःख के साथ कहा की वे तो बेजुबान पंछी है, कब से यहाँ रह रहे है फिर से घोंसला बना लेंगे.. इसलिए आपको हटाना ही नहीं चाहिए था …. उन्होंने कहाँ कैसे बना लेंगे ? मैं यहाँ जाली लगा दूँगा फिर वे अन्दर ही न सकेगे .. इतनी बात करते – करते उन कबूतरों का घोंसला नीचे गिर गया और अंडे टूट गए जिन्दगी रौशनी की किरण देखने से पहले अँधेरे में चली गयी .. ३ जीवन एक पल में समाप्त हो गए और वे बेजुबान कबूतर विलाप करते रहे …
और घर का नया मालिक रोशनदान को बंद करके जाली लगवा कर इस तरह गर्वित हो रहा था जैसे उसे घर पर अपना कब्जा वापस मिल गया हो …. वह खुशी से इतर रहा था , और सालों से बंद पड़ा घर आज सच में वीरान हो गया था …..
(मेरे घर के सामने बसे उन प्यारे से बेजुबान कबूतरों को समर्पित)
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