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परछाईया बाकी है

lets free ur mind birds
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baki

न कोई आरजू बाकी
न कोई जुस्तुजू बाकी
न तेरी याद आती है
न कोई हसरत रही बाकी…
मै कितना भी बदल जाऊ मगर कुछ भी न बदलेगा
तेरी वो दिलकशी बाकी
तेरी वो बेरुखी बाकी

मै खाक हो गया फिर भी रही संगदिल
तेरी वो नाराजगी बाकी
तेरी वो झूठी जिद बाकी

बे पर्दा हो गयी शाखे,
हुए कुछ गुलशन भी वीराने
मगर लिपटे है शाखों से
कुछ सूखे पते अभी बाकी

तू कब आता है
कब जाता है कोई आहट नहीं होती
यु छुप के आने जाने की तेरी बुरी आदत अभी बाकी

तू न दे दिल में पनाह नहीं अफसोस अब मुझको
अभी मरघट में बची है बहुत
मेरे लिए जगह बाकी

अँधेरे में कही खोने को निकले है कदम मेरे
बची है रौशनी में फिर भी मेरी परछाईया बाकी

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