क्या तथाकथित संत ईश्वर होते है। ***********************
विचारों का संसार
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क्या तथाकथित संत ईश्वर होते है।
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एक संत का रूप तो हमने देख ही लिया रोज नए नए कारनामे उजागर हो रहे है। यहाँ तक कि उन्होंने अपने बहनों को भी नहीं छोड़ा। बाप ने अपनी बहन को और बेटे ने अपनी बहन को हवस का शिकार बनाया। संतीय संस्कृति क्या यही है ? एक और बाबा को भी हमने देखा वह समोसे के साथ हरी या लाल चटनी खाने से माँ बन सकती है ? , का दावा करते थे करोडो भक्तो की भावना के साथ उन्होंने खेला और अरबो रूपये लुट लिए। वैसे आशाराम जी अरबो के मालिक है। एक नित्यानद महाराज को भी हमने परखा है आज वे जेल में है। ये सब उजागर संत है जो सामने आगये और पकड़ा गए। लेकिन कई ऐसे संत भी है जो अभी भी खोह में बैठे अपनी दुकान दारी चला रहे है ? इन सबको परखने के बाद क्या इन पर विश्वास किया जा सकता है। अनेको ऐसे संत है जो अपने भक्तो को वह उपदेश दे रहे है जो भगवन ने देना चाहिए ? क्या भगवान ने अपने अधिकृत एजेंट नियुक्त कर दिए है ? यदि ऐसा होता तब भगवन अपने भक्तो को जरुर सूचित करते। संचार तंत्र के इस युग में सूचित करना ईश्वर के लिए सुलभ है। किसी भी भगवन ने ऐसा नहीं किया है, इसीकारण इन संतो के उपदेश सच से दूर है। जहा तक मै सोचता हूँ की भगवान विश्वास के भूखे है ? उनकी पूजा अर्चना से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। किन्तु आपके घर में भगवान की पूजा सही ढंग से नहीं हुयी ऐसा कहने वाले संत अपने आपको पुजवा रहे है। ऐसे बहुत से बाबा है जिनको रसुख दारो की शरण मिली है और वे इसका खूब उपयोग भी कर रहे है।इन रसूख दरो को कुर्सी देने वाले मतदाता जो इनके लिए भगवन है उन्हें ही ये इन बाबाओ के माध्यम से लुट रहे है। जब तक हम कमजोर रहेंगे ऐसे बाबा रोज पैदा होकर हमारी भावना के साथ खेलेंगे। सभी बाबाओ से दुरी बनाकर चलने में ही हमारी भलाई है । सरकारी तंत्र के बजाय जनता का तंत्र इनके लिए सही रामबाण होगा। अंध श्रध्दा ही हमें इनके जाल में फँसा रही है। यह याद रखे की आज की दुनिया में ईश्वर ही कुछ कर सकता है, उसके एजेंट नहीं।
क्या तथाकथित संत ईश्वर होते है।
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एक संत का रूप तो हमने देख ही लिया रोज नए नए कारनामे उजागर हो रहे है। यहाँ तक कि उन्होंने अपने बहनों को भी नहीं छोड़ा। बाप ने अपनी बहन को और बेटे ने अपनी बहन को हवस का शिकार बनाया। संतीय संस्कृति क्या यही है ? एक और बाबा को भी हमने देखा वह समोसे के साथ हरी या लाल चटनी खाने से माँ बन सकती है ? , का दावा करते थे करोडो भक्तो की भावना के साथ उन्होंने खेला और अरबो रूपये लुट लिए। वैसे आशाराम जी अरबो के मालिक है। एक नित्यानद महाराज को भी हमने परखा है आज वे जेल में है। ये सब उजागर संत है जो सामने आगये और पकड़ा गए। लेकिन कई ऐसे संत भी है जो अभी भी खोह में बैठे अपनी दुकान दारी चला रहे है ? इन सबको परखने के बाद क्या इन पर विश्वास किया जा सकता है। अनेको ऐसे संत है जो अपने भक्तो को वह उपदेश दे रहे है जो भगवन ने देना चाहिए ? क्या भगवान ने अपने अधिकृत एजेंट नियुक्त कर दिए है ? यदि ऐसा होता तब भगवन अपने भक्तो को जरुर सूचित करते। संचार तंत्र के इस युग में सूचित करना ईश्वर के लिए सुलभ है। किसी भी भगवन ने ऐसा नहीं किया है, इसीकारण इन संतो के उपदेश सच से दूर है। जहा तक मै सोचता हूँ की भगवान विश्वास के भूखे है ? उनकी पूजा अर्चना से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। किन्तु आपके घर में भगवान की पूजा सही ढंग से नहीं हुयी ऐसा कहने वाले संत अपने आपको पुजवा रहे है। ऐसे बहुत से बाबा है जिनको रसुख दारो की शरण मिली है और वे इसका खूब उपयोग भी कर रहे है।इन रसूख दरो को कुर्सी देने वाले मतदाता जो इनके लिए भगवन है उन्हें ही ये इन बाबाओ के माध्यम से लुट रहे है। जब तक हम कमजोर रहेंगे ऐसे बाबा रोज पैदा होकर हमारी भावना के साथ खेलेंगे। सभी बाबाओ से दुरी बनाकर चलने में ही हमारी भलाई है । सरकारी तंत्र के बजाय जनता का तंत्र इनके लिए सही रामबाण होगा। अंध श्रध्दा ही हमें इनके जाल में फँसा रही है। यह याद रखे की आज की दुनिया में ईश्वर ही कुछ कर सकता है, उसके एजेंट नहीं।
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