पुरानी बाते भूल जाये आज के पी.एम, के लिए वेट करने वाले मोदी के बारे मे कुछ सोचे। मोदी एक ऐसा नाम है, जो आज पार्टी से ऊंचा हो गया है। बीजेपी के परंपरागत वोटो के अतिरिक्त इन्हे नवयुवको के वोट मिलने की पूरी संभावना है। साथ ही वोटो के ध्रुवीकरण का लाभ भी मिलने की गुंजाइश है। इतने सारे वोटो के बाद मोदी प्रधान मंत्री के कुर्सी पर काबिज होंगे ही, यह कहना कठिन है। जन सामान्य की बात को दरकिनार कर दे तो आज भी मुस्लिम वर्ग मे यह शक्स उपेक्षित है। गुजरात या किसी प्रदेश की की राजनीति का दायरा हमेशा सीमित रहता है वही देश की राजनीति का दायरा बहु आयामी होता है। एक मुख्यमंत्री प्रधान मंत्री बनने का सपना तो देख सकता है कितु इसे हकीकत मे बदलने के लिए अनेकों पापड़ बेलने पड़ते है। चेहरे को हमेशा गंभीर बनाए रखना एक प्रशासक के लिए उत्तम हो सकता है किन्तु राजनेता के लिए ऐसा करना अभिशाप होता है। मनमोहन सिंग आलोकप्रिय इसीकारन हुये। चेहरे पर मुस्कान जरूरी है। जैसा अटल जी के स्वभाव मे था। मै ही सच हूँ ऐसा विधान राजनीतिज्ञ के लिए हमेशा सुखद नहीं होता। सभी लोगो की राय को महत्व देना लोकतंत्रीय प्रणाली है। सब को साथ मे रखना भी आज की जरूरत है। मेरी ही मानो ऐसा राजनैतिज्ञ लंबा सफर तय नहीं कर सकता। मोदी के मुखोटे मे यह सब नहीं दिखता। मोदी को अपने आप को सबसे श्रेष्ठ साबित करने के लिए इन गुणो का समावेश अपने व्यक्तित्व मे करना होगा, खिलखिलाकर हंसने की आदत डालनी होगी। हर निर्णय पर सबकी सहमति लेनी होगी। निपटाने के गणित से दूर रहना होगा। हर सभा मे मोदी ही हमारा है जनता मे यह विश्वास जगाना होगा। तानाशाही से दूर रह कर काम करना होगा। इतिहास पुरुषो से पूरे मन से आशीर्वाद लेना होगा। उन्हे मोदी मे उनके बेटे का दर्शन हो सके यह वातावरण पैदा करना होगा। यह विचार कटु जरूर है किन्तु इस राह पर मोदी को चलना ही होगा। स्वभाव बदला नहीं जा सकता किन्तु मोदी को यह असंभव भी संभव करना होगा। यही नमो नमो के लिए एक विचार है।
पी. एम.इन वेटिंग
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पुरानी बाते भूल जाये आज के पी.एम, के लिए वेट करने वाले मोदी के बारे मे कुछ सोचे। मोदी एक ऐसा नाम है, जो आज पार्टी से ऊंचा हो गया है। बीजेपी के परंपरागत वोटो के अतिरिक्त इन्हे नवयुवको के वोट मिलने की पूरी संभावना है। साथ ही वोटो के ध्रुवीकरण का लाभ भी मिलने की गुंजाइश है। इतने सारे वोटो के बाद मोदी प्रधान मंत्री के कुर्सी पर काबिज होंगे ही, यह कहना कठिन है। जन सामान्य की बात को दरकिनार कर दे तो आज भी मुस्लिम वर्ग मे यह शक्स उपेक्षित है। गुजरात या किसी प्रदेश की की राजनीति का दायरा हमेशा सीमित रहता है वही देश की राजनीति का दायरा बहु आयामी होता है। एक मुख्यमंत्री प्रधान मंत्री बनने का सपना तो देख सकता है कितु इसे हकीकत मे बदलने के लिए अनेकों पापड़ बेलने पड़ते है। चेहरे को हमेशा गंभीर बनाए रखना एक प्रशासक के लिए उत्तम हो सकता है किन्तु राजनेता के लिए ऐसा करना अभिशाप होता है। मनमोहन सिंग आलोकप्रिय इसीकारन हुये। चेहरे पर मुस्कान जरूरी है। जैसा अटल जी के स्वभाव मे था। मै ही सच हूँ ऐसा विधान राजनीतिज्ञ के लिए हमेशा सुखद नहीं होता। सभी लोगो की राय को महत्व देना लोकतंत्रीय प्रणाली है। सब को साथ मे रखना भी आज की जरूरत है। मेरी ही मानो ऐसा राजनैतिज्ञ लंबा सफर तय नहीं कर सकता। मोदी के मुखोटे मे यह सब नहीं दिखता। मोदी को अपने आप को सबसे श्रेष्ठ साबित करने के लिए इन गुणो का समावेश अपने व्यक्तित्व मे करना होगा, खिलखिलाकर हंसने की आदत डालनी होगी। हर निर्णय पर सबकी सहमति लेनी होगी। निपटाने के गणित से दूर रहना होगा। हर सभा मे मोदी ही हमारा है जनता मे यह विश्वास जगाना होगा। तानाशाही से दूर रह कर काम करना होगा। इतिहास पुरुषो से पूरे मन से आशीर्वाद लेना होगा। उन्हे मोदी मे उनके बेटे का दर्शन हो सके यह वातावरण पैदा करना होगा। यह विचार कटु जरूर है किन्तु इस राह पर मोदी को चलना ही होगा। स्वभाव बदला नहीं जा सकता किन्तु मोदी को यह असंभव भी संभव करना होगा। यही नमो नमो के लिए एक विचार है।
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