Menu
blogid : 13121 postid : 1102253

ये बुजुर्ग सुविधा होते हुए भी पैदल चलते है. ———————————————–

विचारों का संसार
विचारों का संसार
  • 160 Posts
  • 31 Comments

यह अजब बात है कि लोग शालीनता को एक कमजोर हथियार मानते है, जो अनुनय विनय करके काम मांगता है. उसे दीनहीन समझा जाता है. उसे भागने के लिए मजबूर किया जाता है. जो बुजुर्ग एक सिटी ट्रांसपोर्ट में उनके लिए आरक्षित जगह मांगता है वह जवान कहता है बस स्टैंड पर लडकियों से रंग रेलिया करते देखा है, अब जगह मांगते हो ? आपको शर्म आना चाहिए ? जबकि वास्तविकता यह है कि वह खुद अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ उस जगह पर बैठना चाहता है जो किसी और के लिए आरक्षित है. इसीकारण मेरा यह मित्र 7 किलो मीटर पैदल जाता है. हर उस जगह का कचरा साफ करता है. जहा ये अशालीन लोग गंदगी फैलाते है. आज बिना किसी झगडे के अपने गंतव्य पर जाता है? किन्तु उन लोगो की गाली खाता है जो रांग साईड आकर उसे कैसा चलना है, का नियम सिखाते है ? बड़ी बुरी स्थिति है. जहा लोग अशालीनता को स्वर्ग मानते है वह शालीनता नर्क का जीवन जी रही है. बुजुर्गो के लिए आरक्षित जगह पर ये नियंत्रण कर्ता ध्यान नहीं दे रहे इसीकारण ये बुजुर्ग सुविधा होते हुए भी पैदल चलते है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply