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मै अँधा पैदा हुआ, गांधारी तुमने क्यों आँखों में पट्टी बाँधकर अंधे बनने का नाटक किया?

विचारों का संसार
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धतराष्ट्र जन्म से अंधे थे. ईश्वर ने उन्हें अँधा इसीलिए पैदा किया था कि का वे सब यह न देखे जो भीष्म पितामह ने देखा था . इसीलिए उनके द्वारा द्रोपदी का चिरहरण नहीं देखने के पाप से वे मुक्त हो गए ? यदि वे इस पाप के भागीदार होते तब उन्हें भी भीष्म पितामह जैसा त्रास झेलना पड़ता किन्तु वे सुख की मौत मरे? उनके मरने में कोई कष्ट उन्हें नहीं हुआ? गांधारी के मन में क्या था? यह आज तक मेरे समझ में नहीं आ सका उन्होंने एक जन्मजात अंधे के साथ जांन भुझकर शादी क्यों की ? क्यों अपने आँख में काली पट्टी बांध ली क्या वे भविष्य जानती थी या पाप का भागीदार बनने से बचना चाहती थी ? क्या इस प्रकार कृत्रिम अँधा बनकर चिरहरण न देखने के पाप से बचा जा सकता है ? क्या यह उनका पति के प्रेम था. यह शायद हजम होने वाली बात नहीं है. क्या पति प्रेम देश से बड़ा हो सकता है. पति प्रेम को दिखाने के कारण ही वे इस पाप से बच संकी. ऐसा मुझे नहीं लगता. पति प्रेम क्या उस अन्याय से बड़ा था जो उनके बहु के लिए हुआ था ? यदि गांधारी अपने आँखों में पट्टी नहीं बांधती तो मेरा यह मानना है कि महाभारत कभी नहीं होता? ओर आज कौरव को लोग गाली नहीं देते ओर कुन्ती पुत्रो को कोई इतना महत्त्व नहीं देता. वे यदि पट्टी नहीं बाँधती तब उनका गुणगान पञ्च कन्यायो में होता ? उनका पट्टी बाँधने के इस उपक्रम ने उन्हें कही का नहीं छोड़ा? न पति का वह साथ मिला जो पांडू ने कुन्ती को दिया. आज धतराष्ट्र चिल्ला चिल्ला कर बोल रहा है, “ हे गांधारी मै जन्मजात अँधा था, कितु तुम क्यों कृत्रिम अंधी बनी शायद तुमने ऐसा नहीं किया होता तो हमारे सौ पुत्र नहीं मरते ओर महादानी कर्ण भी नहीं मरता. ये सब नहींमरते तब इस देश की राजनीती किसी सही दिशा में जाती आज हर कदम पर पांड्वो को रोकने का साहस तुम्हारी इस न समझ गलती के  कारण आया ? इसकी सजा तुमको मिली और तुम्हारे साथ मुझे भी जिनके सौ बेटे होते हुए भी अंत काल में एक भी काम नहीं आ सका इससे बड़ी विडम्बना क्या हो सकती है”? हमारा यह जीवन किस काम का ? हमने अपने जवान पुत्रो के मौत देखी है, महादानी कर्ण को खोया, बड़े बड़े योध्या का मार्ग दर्शन से देश वंचित रहा यह सब भीष्म के भोगे त्रास से कही अधिक है?

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