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मै आपके साथ हूँ ———–

विचारों का संसार
विचारों का संसार
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मै आपके साथ हूँ
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अनेक महत्वपूर्ण घटनाओ में अनेक लोग कहते है, आप चिंता क्यों करते हो मै आपके साथ हूँ। कहना भी यही चाहिए क्योकि आज के युग की बची शालीनता यही है। यह उनका कर्तव्य है। हमारा कर्तव्य इन सबसे भिन्न होना चाहिए। हम इतने काबिल रहे कि हमारी चिंता कोई न करे। चिंता करने का अर्थ यही होता है कि हमारी नीव कही पर कमजोर है। मतलब साफ है हम हमारे गणित में कही कमजोर पड गये है। हमारे गणित के गुना भाग को हमें ठीक करना होगा। किसी पर निर्भरता हमेशा कष्ट दायक होती है। प्रयास यह होना चाहिए कि एक आयु के बाद कोई किसी पर निर्भर न रहे। सब अपने गणित के अनुसार काम करे। जहा कोई गुना भाग कमजोर पड़ता दिखाई दे तब उस पर चिंतन मनन कर उसका सही हल खोजना चाहिए। “यह वह कर लेगा यह तो वही कर सकता है”। यही निर्भरता है। हमेशा अपना सवाल खुद हल कर उसका समाधान हमारे पास यदि नहीं है, तब जीवन की जंग में हमें कोई भी पछाड सकता है। इसी स्थिति में लोग यह कहते हुए करीब आते है कि चिता क्यों करते हो हम आपके साथ है। ऐसा वाक्य सुनने वाला भी कही तो भी कमजोर है। हमेशा ताकतवर रहे दूसरों की चिंता करने की शक्ति हमें ईश्वर दे यही प्रयास होना चाहिए। इस युग में यही प्रासंगिक है।
मै आपके साथ हूँ
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अनेक महत्वपूर्ण घटनाओ में अनेक लोग कहते है, आप चिंता क्यों करते हो मै आपके साथ हूँ। कहना भी यही चाहिए क्योकि आज के युग की बची शालीनता यही है। यह उनका कर्तव्य है। हमारा कर्तव्य इन सबसे भिन्न होना चाहिए। हम इतने काबिल रहे कि हमारी चिंता कोई न करे। चिंता करने का अर्थ यही होता है कि हमारी नीव कही पर कमजोर है। मतलब साफ है हम हमारे गणित में कही कमजोर पड गये है। हमारे गणित के गुना भाग को हमें ठीक करना होगा। किसी पर निर्भरता हमेशा कष्ट दायक होती है। प्रयास यह होना चाहिए कि एक आयु के बाद कोई किसी पर निर्भर न रहे। सब अपने गणित के अनुसार काम करे। जहा कोई गुना भाग कमजोर पड़ता दिखाई दे तब उस पर चिंतन मनन कर उसका सही हल खोजना चाहिए। “यह वह कर लेगा यह तो वही कर सकता है”। यही निर्भरता है। हमेशा अपना सवाल खुद हल कर उसका समाधान हमारे पास यदि नहीं है, तब जीवन की जंग में हमें कोई भी पछाड सकता है। इसी स्थिति में लोग यह कहते हुए करीब आते है कि चिता क्यों करते हो हम आपके साथ है। ऐसा वाक्य सुनने वाला भी कही तो भी कमजोर है। हमेशा ताकतवर रहे दूसरों की चिंता करने की शक्ति हमें ईश्वर दे यही प्रयास होना चाहिए। इस युग में यही प्रासंगिक है।

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