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अजीब साम्यता है , २०१४ में जो परिस्थितियां मोदी के सामने थी २०१६ में वही परिस्थिति ट्रैम्प के सामने थी , हूबहू एक सामान ! मोदी का बिरोधियो , नामचीनों या अपने ही दल के लोगो द्वारा जिस प्रकार विरोध हो रहा था ठीक उसी प्रकार ट्रंप का भी बिरोध हो रहा था ./लेकिन भारत में जिस प्रकार लोगो को अबकी बार मोदी सरकार अच्छा लगा उसी प्रकार अमेरिका में अबकी बार ट्रंप सरकार अच्छा लगा / नतीजतन भारत में मोदी तो अमेरिका में ट्रंप विजयी हुए / ट्रंप तो अभी तक अपने एक एक स्टैंड पर कायम है लेकिन मोदी में अभूतपूर्व परिवर्तन आ गया है / वे उस मूल को ही नकार रहे है जिसके कारण गुजरात से दिल्ली पहुच गए है , उस छबी से बाहर निकलने के लिए छटपटा रहे है जो जन जन के मन में बसी हुई है / मोदी सर्वमान्य होने के मुगालते के शिकार हो गए है , उन्हें जो थोड़ी बहुत जगह जगह सफलता मिल जा रही है उसे अपना चमत्कार मान रहे है जबकि लोग भाजपा के साथ आज भी इसलिए जुड़े है की सब के बावजूद भाजपा और सभी पार्टियों से अच्छी है / बिरोधी पार्टिया अबतक बिकल्प हीनता का फायदा उठा रही थी तो भाजपा लोगो के राष्ट्रवाद के निष्ठां का फायदा उठा रही है / नहीं तो भाजपा वह क्यों नहीं कर रही है जिससे कम से कम सारे नागरिक कानून के निगाह में एक बराबर हो जाय ! जाती धर्म की जो दिवार २०१४ में हिल गई थी वह फिर पुख्ता न होने पाए /
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