Menu
blogid : 3502 postid : 864

ढिंग चिका से अन्ना हजारे तक

अंगार
अंगार
  • 84 Posts
  • 1564 Comments

खुरापात रचना ने जन्म लिया होता| जिस खुशकिस्मत लेखक के सर पर ज्ञानी जी जैसी महान हस्ती का वरदहस्त हो और जिसका इंदरजीत प्रा जैसा टेलेंटेड भाई हो, वो कितना खुरापाती (उफ्फ…बार-२ कलम बहक क्यों रही है) महान होगा| इनके ही पोल-खोल और कपडे उतारू लेखों के चलते ही इस प्लेटफार्म का रॉयल लोटस भी उखड कर ब्लॉग्गिंग से संन्यास की घोषणा करने पर मजबूर हो गया था और छोटे-मोटे कई लेखक तो इस धंधे को ही छोड़कर उलटे पाँव भाग खड़े हुए और परचून की दुकान खोल ली| पंगेबाजी और दूसरों के कपडे उतार देने की इनकी असीम क्षमता के चलते ही हमने इन्हें गुरु बनाया था पर ये दुनिया के एकमात्र ऐसे गुरु हैं जो अपने ही चेलों के कपडे फाड़ते रहते हैं| ये महान पुरुष अपने चेलों को चीनी बनते देख नहीं सकते, इस बात से इनके पेट में दर्द हो जाता है| पर सच्चा चेला तो वही जो चीनी हो जाय और गुरु को गिन्दौडा साबित कर दे| तो हम भी कम नहीं हैं, चीनी भले बने न बनें पर गुरूजी को गिन्दौड़े से आगे नहीं बढ़ने देंगे, यही हमारे देश की गुरु-शिष्य परंपरा है|

 

कमअक्लों आप जैसे महान लेखकों के बीच मेरी दाल नहीं गल पा रही है| हमारे शहर के पंजाबी मोहल्ले का मेरा मित्र सन्नी कहीं दूर के रिश्ते में देव कोहली का भतीजा लगता है| अरे वही देव कोहली जिन्होंने ‘ऊँची है बिल्डिंग लिफ्ट तेरी बंद है’ जैसी महान रचना देकर भारत माता के जनों को कृतार्थ किया| बस उनसे एक बार मुलाक़ात हो जाय, मैं भी उन्हें बता दूंगा ऐसी कितनी ही कबाड महान रचनाएं मेरे दिमाग में भरी पडी हैं| वो तो कुछ अपने चरित्र में बेवजह ठूंस दिए गए संस्कारों और कुछ आप जैसे बुद्धिजीवियों के हतोत्साहन का असर है कि मेरी ये रचनाएँ टायलेट-बाथरूम तक ही सीमित रह गई हैं, वरना बानगी देखिये-

 

‘वो छत पे खड़ी है, और मुझे बुला रही है,

क्या पाईप से चढ जाऊं, उसके घर में सीढ़ी नहीं है….’

 

अब आप सोच रहे होंगे कि जब सीढ़ी नहीं है तो वो छत पर गई कैसे? तो भईया यही तो कल्पनाशीलता और मौलिकता है, जहां न पहुंचे रवि वहाँ पहुंचे फ़िल्मी कवि | ऐसे कमियां निकालने की बात हो तो मैं भी कह सकता हूँ कि जब बिल्डिंग ऊँची थी तो टॉप फ्लोर वाली से प्यार करना जरूरी था क्या? ग्राउंड फ्लोर पे नहीं मिली क्या कोई? और अगर लिफ्ट भी बंद थी तो कमबख्त तेरी टाँगे टूट गई थीं जो सीढियां चढ के ऊपर नहीं जा सकता था? प्यार में तो लोग टॉप फ्लोर पे जाके नीचे कूद के जान दे देते हैं, तू लल्लू मिलने भी नहीं जा सकता? मेरे एक और टॉप क्लास गीत की पंक्तियाँ हैं-

 

मुन्ना बदनाम हुआ डार्लिंग तेरे लिए,

मैं हिमानी बोरो प्लस हुआ डार्लिंग तेरे लिए…..

 

अब आप कहोगे कि ये कैसी उटपटांग रचना है, तो हे पाठक वृन्द आपने चुलबुल पांडे की फिल्म में देखा ही होगा कि कैसे मुन्नी झंडू बाम हिप्स पर मलने का इशारा करती है| इस गाने के महान कोरियोग्राफर के हिप्स पर अगर झंडू बाम मल दिया जाय तो शर्तिया कहता हूँ दोस्तों, जिंदगी भर ऐसी कोरियोग्राफी नहीं करेगा….वहीं दूसरी ओर मेरे गीत में चूंकि बोरोप्लस है, हिप्स पर लगाने से खुशबू भी आयेगी, जलन भी नहीं होगी और कोई घाव होगा तो एंटीसेप्टिक का काम भी करेगी| एक और रचना पेश है (क्या करूं कई महीनों बाद इधर आया हूँ, इतना तो मेरा हक भी बनता है) –

 

यस-यस-यस बलवंत ,

बलवंत की जवानी,

बस तेरे हाथ ही आनी…

 

अब चुप भी बैठिये, हर बात पे खोट निकालने की आदत ठीक नहीं है, चलिए फिर भी एक्सप्लेन कर ही देता हूँ| वो कमबख्त शीला जब हाथ ही ना आनी तो किस काम की उसकी जवानी? बलवंत हट्टा-कट्टा गबरू जवान भी है और आने के लिए तैयार भी है| दूसरा, मोहल्ले की एक कन्या को लेकर बलवंत से मेरा सालों से पंगा भी है| इस गाने के बाद आल इंडिया में बलवंत को बदनाम भी कर दूंगा कि लंगोट का कच्चा आदमी है| भाई जब ललित पंडित और विशाल डडलानी जैसे महान गीतकार बिना किसी दुश्मनी के मुन्नी और शीला नाम की संभ्रांत घरों की महिलाओं को बदनाम कर सकते हैं, तो बलवंत से तो मेरा पुराना पंगा है|  यकीन नहीं होता कि इस देश की राष्ट्रपति एक महिला हैं और शीला नाम की महिला तो देश की राजधानी दिल्ली की मुख्यमंत्री भी हैं| हो सकता है कि वो इसलिए चुप हों कि वो जवान नहीं हैं|

 

नामाकूल और नालायक  गायक का गाना सुनता है तो अपने १०-१५ बाल तो बेवजह नोच ही लेता है| मन में आता है कि कहीं मिल तो जाय ये बंदा, इसे उसी बिल्डिंग की छत पे ले जाके धक्का दे दूंगा, जिसकी इसने लिफ्ट बंद कर रखी है| जिसको खुद कुछ नहीं आता वो न जाने कहाँ-२ जज बना बैठा रहता है|  और जब से ये रैप नामक गायन कला हमारे देश में आई है, गीतों का तो रेप ही होने लगा है| बस ऐसा कुछ उटपटांग कह दीजिए कि इसको समझाने के लिए प्रेजेंटेशन देना पड़े, यही रैप है| वैसे रैप में भी मेरा हाथ तंग नहीं है|  रैप पर गौर फरमाएं-

 

आगड-बागड-धाकड, आऊ-बाउं आई-आई,

ठापटाझींगा टीन-कनस्तर ठांय-२ फुरर्र…….

 

मेरी बात का यकीन मानिए कि जब इस रैप को टोरंटो में रहने वाला पंजाबी पुत्तर कुप्री (कुलप्रीत), (जिसके पापा जी सन ६० में पंजाब से भागकर कनाडा चले गए थे और वहाँ बाल-बेयरिंग की फैक्ट्री में तोप के गोले बना के बड़ी मासूमियत से कहते थे- हैव आई मेड इट लार्ज?) अपनी पंग्रेजी (पंजाबी+अंगरेजी) भाषा में गायेगा तो ये एक हिट नंबर बनेगा| ऐसा ही कुछ हाल कोरियोग्राफरों का भी है| मोटे-२, थुलथुले नृत्य निर्देशक जिन्हें नृत्य तो पता नहीं आता है या नहीं पर इनके अंग-२ की चर्बी जरूर नृत्य करती रहती है| हमारे देश में पता नहीं कितने कत्थक नर्तक भूखों मर रहे होंगे पर ये मोटे-२ कोरियोग्राफर गलत-२ जगहों पर झंडू बाम लगाकर भी हिट हैं|

 

चलते-२ चार पंक्तियाँ और ठोक रहा हूँ, अपनों के बीच इतना हक तो बनता है, झेल लो-

 

तू चीज बड़ी है मस्त-२ , अन्ना हजारे

नहीं तुझको कोई होश-२ , अन्ना हजारे,

तुझपे जन सेवा का जोश-२, अन्ना हजारे,

देश-प्रेम में मदहोश हर वक्त-२ , अन्ना हजारे,

है पूरा देश तेरे साथ-२ , अन्ना हजारे

 

नोट- इस गाने पर सरकार नृत्य कर रही है जिसे कोरियोग्राफ कर रहे हैं- अन्ना हजारे |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh