Posted On: 19 Nov, 2015 Others में
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आज आतंकवाद से पूरा संसार परेशान है, परन्तु कुछ लोग आतंकवाद को समाप्त करने के बजाये आतंकवाद की परिभाषा को बदलने में ही व्यस्थ हैं।
आतंकवाद का अर्थ होता है लोगों में अपना भय पैदा करना, डराना धमकाना,निर्दोष लोगों की हत्या करना, लोगों में नफरत पैदा करना आतंकवाद होता है, कन्या भ्रूण हत्या भी आतंकवाद होता है, जहेज़ के नाम पर महिलाओ पर अत्याचार करना भी आतंकवाद होता है, सत्य तो यह है के जिस बात से किसी का जान बूझ कर दिल दुखाया जाये वे भी आतंकवाद होता है।
परन्तु अफ़सोस इस बात का है के पैरिस में आतंकी हमला होता है तो सब आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठाने लगते हैं पर इस सप्ताह अफ़ग़ानिस्तान में आई एस आतंकी संगठन ने 7 लोगों के सिर कलम कर दिए।
लेबनान में चरमपंथी आतंकवादीयो के हमले में 41 लोग शहीद और 181 लोग घायल हो गए पर कोई नही बोला आखिर आतंकवादी हमलेसे मरने वालों के साथ सोतेला रवैया क्यों होता है
किया अफ़ग़ानिस्तान ,लेबनान आदि में मारे गए लोग इन्सान नही होते या फिर
उनका पाप यह था की वे इस्लाम के अनुयाई थे इस लिए किसी ने अपने आंसू नही बहाये ?
मैं हाथ जोड़ कर यह बात साफ करना चाहता हूँ के मैं ऐसा बिलकुल नही कह रहा के पेरिस में
आतंकी हमले की निंदा नही होनी चाहए,अवश्य होनी
चाहए और मैं भी करता हूँ , पर मेरा कहना इतना है के आतंकी हमला जहाँ भी हो और
किसी भी धर्म,जाति के लोगमारे जाये उनके लिए सामान श्रद्धांजलि दी जानी चाहए।
माफ़ करना मुझ से प्यार करना आता नफरत करना नही यदि आप सोचते हो
मैं आतंकवाद का समर्थक हूँ तो ऐसा बिल्कुल नही है मैं मुसलमान हूं
और आतंकियों को चुनौती देता हूँ ,पर मेरा सवाल यह है
आखिर मुसलमान ही आतंकवादी क्यों और कैसे ?
आज यदि आतंकवाद से सब से अधिक परेशान समुदाय है तो वे है मुस्लमान क्यों की
इस्लाम के नाम पर खूनी आतंकी संगठन ISIS, बोकोहाराम ,अल कायदा आदि अपने को
इस्लाम का रक्षक कह रहें है पर सत्य यह नही है सत्य यह है के यह इस्लाम के सब से बड़े
शत्रु हैं।
बहुत से लोग यह बात मानने के लिए राज़ी नही होते उनका का कहना है के इन को यह सब
इस्लाम सिखाता है , मेरा ऐसे लोगों को यह जवाब हैं के यदि यह इस्लाम के अनुयाई होते तो क्या मुसलमानों की हत्या करते? क्या इस्लामिक धार्मिक स्थालों पर बम
बरसाते?
क्या निर्दोष बच्चों के खून से होली खेलते ? नही बिलकुल नही। इस्लाम ने कभी किसी
निर्दोष का खून बहाने की सीख नही दी है ! इस्लाम शांति की सीख देता है।
इस्लाम की सीख तो यह है के रास्ते में पड़े पत्थर को हटा दो ताके किसी को ठोकर न लग
जाये और उस पत्थर हटाने पर उसके लिए एक नेकी लिखी जाती है तो सोचने वाली बात है के इस्लाम इतना क्रूर कैसे हो सकता है ,के निर्दोषों की जान लेने की इजाज़त दे दे । आज आतंकवाद के हमले में शहीद होने वालों में सबसे ज्यादा मुस्लिम समाज के
लोग है फिर आखिर मुस्लिम समाज को ही दोषी बताना कहाँ का न्याय है ?
यदि हम केवल इस्लामिक आतंकवाद , भगवा आतंकवाद , खालसा आतंकवाद ,
नीच आतंकवाद , अगड़ा आतंकवाद आदि आदि
जब तक करते रहेंगें यह आतंकवाद समाप्त नही होने वाला है। सब से अहम बात तो यह है के यदि हम सही में आतंकवाद से पीछा छुड़ाना चाहते हैं
तो सब से पहले अपनी अपनी आँखों से धर्म का चश्मा उतार कर फेंकना होगा सब को साथ लेकर आतंकवाद का मुकाबला करना होगा।
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