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चुनाव परिणाम जब आएंगे!!

आत्ममंथन
आत्ममंथन
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पुरे देश को गर्मी ने बुरा हाल कर रखे है जबकि चुनावी सरगर्मी भीषण गर्मी के उपर भारी पर रही है नतीजन लोग गर्मी को दरकिनार कर इतने उतावले और दिसचस्पि से, गर्मियो से बेखबर होकर सिर्फ़ चुनावी परीणाम को निहार रहे है। कई ने तो नई सरकार के लिए स्वागत गान भी लिख डालें और इंतज़ार उस सुभमूर्हत को जब अपने मुखारविंदू से गुनगुनाएंगे। जहाँ कई मंत्री और संत्री अपने बूरिया -बिस्तर समेतने में व्यस्त है तो कईयो नये चेहरे ने अभी से ही मंत्री के सपथ पत्र पढनें का अभ्यास करने लगे है। हमारे वर्तमान के प्रधानमंत्री इन दिनों केवल नये घर को डेकोरेशन और शिफ्टिंग को लेकर ही गंभीर है और इतने उतावले से लोग तो ७ रेस कोर्स में शिफ्ट होने के लिये नहि होंगे उससे कहीं ज्यादा हमारे प्रधानमंत्री यहाँ से विदा होने के लिये उतावले दिख रहे है। दरशल में जबसे संजय बारु ने अपने पुस्तक में प्रधानमन्त्री के कार्यशैली को लेकर प्रश्नचिन्ह लगाये थे तबसे प्रधानमंत्रि को अपने इर्द -गिर्द जमे लोगो पर से विस्वास ही ऊठ गया इसलिए तो इनदिनों गंम्भीर मौन मुद्रा में है और हो सकता है कि नये घर में निवास के उपरांत ही अपने मौन मुद्रा को त्यागेंगे।

लालूजी को ही देखिये, कुछ दिन पहले जब लालूजी जी जेल में थे बुद्धजीवियो ने मान लिये थे उनका राजनीती करियर बिल्कुल खतम हो गयी और रजद के लालटेन से रोशनी से गुंजाईश नहि पर सब तर्क मिथ्या हीं साबित हुए क्यूंकि फिलहाल न लालूजी जेल मेँ है हलांकि रजद के लालटेन के रोशनी से चकाचोंध कर रखे अन्यथा लालूजी को इतने ऊर्जा कंहाँ से मिलता कि रावडी देवीं के गाडी और सूटकेस के जॉंच करने वाले अधिकरी को जूता से पिटने की बात करतें?

दरअसल में राजनीती में वक्त का पहिया बहुत ही तेजी से घूमते है यहाँ लोग अर्श से फर्श पर चंद मिनटों में पहुँच जाते है उसी तरह लोग फर्श से अर्श पर पहुँचने में ज्यादा मस्कत नहीं करने पड़ते है। इसलिए तो नेता किसी भी दल के क्यूँ न हो पर शियाशी फायदे के लिये चाहे कितने भी लांछन एक -दसरे पर लगाते दिखते हो पर निजी ज़िंदगी में किसी को किसी से भी परहेज़ नहीं है ऐसे में राजीनीति के नुमायँदे निभीर्क हो कर तामाम ऐसे कारनामे को अँजाम देतें है जो न सामाजिक दृष्टिकोण से और न ही संवैधानिक दृष्टीकोन से ज़ायज मानें जाते है। फलस्वरूप राजनितिक दिग्गज को अपने कुकर्म पर शर्मसार होने के वजाय उसे हीं राजनैतिक रँग देने में लगे रहते है। इसलिए दिन -ब – दिन दागदार नेताओ का भरमार होते जा रहे है जबकि संवैधानिक पदो पर बैठे लोग भी इन्हे ही पसन्द करते है क्यूंकि इनके बदौलत ही उन्हे भी सरक्षण मिलते है।

१६ मई के बाद दागदार नेताओ के आगे के रास्ते क अनुमान लग पाएगा, यदि इस चुनाव में जनता दागदार नेताओं के उम्मीदवारी को खारिज कर देती है तो इनके राजीनीतिक करियर का अन्त होना सुनिश्चित हो जायेगी लेकिन यदि चुनाव जीत कर आते है तो यह और धारदार हो जायेंगे जो देश और जनता दोनों के लिये घातक शिद्ध होने वाला है। इस चुनाव में दागदार नेताओ क़ी बड़ी लम्बी सूचि है, कोइ भी पार्टी हो इससे अछूत नहि हाँलाँकि दो-चार पार्टी को छोड़ दें तो ज्यादातर पार्टी में ऐसे ही लोगों का बोलबाला है। ऐसे में नई सरकार से लोगों को काफी उम्मींद है कि दागदार लोगो को राजनीती में सक्रियता पर अंकुष लंगायेगी।

वर्तमान परिवेश को देखतें हुए बुर्जग राजनीतिज्ञ दिग्गज को कुछ करने के लिये खास बचा नहि है ऐसे में उनके राजनीती मंच पर दीर्घकाल देखना मूमकिन नहि है कुछ ने तो पहले से ही सन्याश का एलान कर दिये जो नहि कर पाये उनके सन्याश चुनाव के उपराँत एलान करनेका आसार है। देश के तमाम राजनीती के भविष्य वक्ता के साथ -साथ आम जनता भी अपने सांस को थामे हुए है क्यूंकि जनता एक तरफ़ अपने इच्छाएँ और आकांक्षायें आने वाली सरकार से जोड़ कर रखी है वही भविष्य वक्ता के भी साख आनेवाली सरक़ार से जूडी है क्यूँकि देश तकरीबन सभी ने मान लिये है कि देश बहुत बड़ी बदलाव को स्वागत में है ऐसे में कुछ असंभावित हो जाता है तो उनके पूर्वानुमान के उपर प्रशन चिन्ह लगना तय है। यदि इस चुनाव में किसी राजनीती घराने के छवि दांव पर लगे है तो वह है गांधी परिवार जिनके आगे के भविष्य इस चुनाव पर ही निर्भर है कहना कदापि असत्य नहि होंगे क्यूंकि इन चुनाव के बाद जहॉं कांग्रेस के स्थिति देश के पतल पर होंगी वही गाँधी परिवार का भी भविष्य सुनिश्चित होगी कि उनके पीढ़ी में दमखम है जो कांग्रेस को आगे के रास्ता का मार्गदर्शन कर पाएंगे अपितु कांग्रेस पार्टी गाँधी परिवार को अलग- थलग करके खुद ही अपना मार्ग परस्त करेगी।

केजरीवाल और उनके तरह के नेताओं के लिये भी चुनाव अहम होनेवाले है क्यूँकि इस चुनाव के परिणाम के आधार पर ही उनके आगे के भविष्य का आकलन किया जाना सम्भव होंगे। वास्तविक में इस चुनाव का परीणाम शायद अतीत के सभी चुनाव परिणाम से अहम और अति प्रभावशाली होनेवाला है और चुनाव परिणाम के पश्चात देश के जनता शाक्षात् होंगे कि देश के लोगो आज भी महजब व जातीं के नाम पर पाराम्परिक वोट करते आये है या इस बार भ्रष्टाचार, मंहगाई , बेरोजगारी और ग़रीबी को मुद्दा मान कर प्रगतीशील सरकार के हेतु वोट डाले है।

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