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दिल्ली में बिजली गुल !!

आत्ममंथन
आत्ममंथन
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इन दिनों दिल्ली जिस कदर बिजली की किल्लत से जूझ रही है शायद अतीत में दिल्ली के लोगों को इतने बुरे हलात से शायद ही रूबरू हुए होंगे। इसकेलिए केजरीवाल तो मुख्य दोषी है जबकि बची -खुची कसर देश के तत्कालीन सरकार पूरी कर दिए। दरअसल में दिल्ली का इनदिनों सुध लेनेवाला कोई नहीं है केजरीवाल का केजरी नाच का स्वाहा हो चूका है और उनके द्वारा किये गए करवाई का ही खीश कहिये जो इनदिनों बिजली कंपनी दिल्लीवासीयों पर निकाल रहे है। अतीत में एक घंटे की कटौती के जगह इनदिनों ६ से ८ घंटे बेझिझक कटौती कर रही है।

वास्तविक में दिल्ली के उपराज्यपाल हो अथवा केंद्रीय बिजली मंत्री के पास इतनी फुरसत कँहा कि दिल्ली वालों का खबर लें, जब जनप्रतिनिधि ही जनता के प्रति उदासीनता दिखा रहे हो तो ऐसे में बिजली कंपनी के सर्वोचय पदो पर विराजमान महानुभाव व सरकारी दफ्तर का शोभा बढ़ा रहे बाबुओं उनको किस बात का फिक्र होगा। अन्तः जनता फिरसे खुदको कोस रही है इसका परिणाम कितना गंभीर होता है यह सचमुच कांग्रेस पार्टी भलीभांति जान चुकी है और इनदिनों सत्ता पर आसीन पार्टी को भी जान लेनी चाहिए अन्यथा जनता प्रायश्चित करने के लिए भी नहीं छोड़ती जैसा कि हालमें केजरीवाल का किया है।

बरहाल मोदी और उनकी सरकार कितना भी पीठ क्यूँ न थपथपा ले परन्तु हक़ीक़त लोगों के समझ से परे है। जबकि बिजली मंत्री बड़बोलेपण ही कहा जायेगा, जो देश के लोगों को बिजली की समस्या से निजात दिलाने की बात कहते अथवा अस्वासन देते फिरते है यद्दीप दिल्ली जैसी छोटी राज्य में बिजली की समस्या को दुरुस्त करने के लिए अभी तक सामने भी नहीं आये और न ही उनके तरफ से कोई कारगर कदम उठाये गए मसलन दिल्ली के अधिकाधिक लोग असंतुष्ट और आशाविहीन है और उनके संजीदा को लेकर असमंजस है। अन्तोगत्वा इसका परिणाम सकारात्मक हरगिज़ नहीं होगा और अच्छे दिन की बात करने के वजाय प्रतिबद्धता के साथ प्रत्यनशील होना चाहिए ताकि दिल्ली की बिजली की समस्या का हल निकाल कर दिल्लीवासियों को बिजली की किल्लत से राहत मिलें।

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