Ruchi Shukla
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लोग कहते हैं कि दिल की लगी नहीं बुझती…
यानि… ताउम्र मेरे दिल को सुलगना होगा….
जब भी गुजरेगा कोई प्यार का झोंका छूकर
इश्क की आग को हर बार धधकना होगा….
आज़माइश है मेरे ‘तुझपे’ यकीं करने की
और इस बार मुझे हद से गुजरना होगा…
खुदा भी कशमकश में है मेरी दुआ सुनकर
फिर कई क़ायदे…कानून बदलना होगा
तमाम जिंदगी जो नातमाम रह जाए
उसी तिलिस्म-ए-आशिकी में डूबना होगा…
जो अपने आब-ए-इश्क की सलामती चाहूं
दिल-ए-अज़ीज़ को दिल से निकाल ना होगा
जो कह गए कि जंग-ए-इश्क में सब जायज है
उन्हें भी आतिश-ए-उल्फ़त से गुजरना होगा
रुचि शुक्ला
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