Ruchi Shukla
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बड़ी गुस्ताख लहरें हैं
समंदर की नहीं सुनती
उफनती हैं जवां होकर
कभी हद में नहीं रहतीं
ये हर दिन की कहानी है
ये सब रातों का किस्सा है
समंदर की ये होकर भी
समंदर की नहीं रहतीं
बड़ी गुस्ताख लहरें हैं
समंदर की नहीं सुनती….
हवा का रुख बदलता है
बवंडर फिर से उठता है
तबाही का इरादा है
मगर जाहिर नहीं करतीं
बड़ी गुस्ताख लहरें हैं
समंदर की नहीं सुनती….
लहर की अपनी ख्वाहिश है
समंदर का गुरूर अपना
नया दस्तूर कहता है…
समंदर ही को है झुकना
नई दुनिया की लहरें हैं
ये समझौते नहीं करतीं…
बड़ी गुस्ताख लहरें हैं
समंदर की नहीं सुनती….
#रुचि शुक्ला
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