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ग़ज़ल : तुम हो कली कश्मीर की, कोई फ़ना हो जाएगा

Saarthi Baidyanath
Saarthi Baidyanath
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तुम हो कली कश्मीर की, कोई फ़ना हो जाएगा
रब देख ले तुझको अगर, वो भी फ़िदा हो जाएगा
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साहिब बहाने से गया, मैं बारहा उसकी गली
दिख जाये गर शोला बदन, कुछ तो नफा हो जाएगा
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शीशे से नाजुक हुस्न पर, ज़ालिम बड़ी मगरूर है
दो पल की है ये नाजुकी, फिर सब हवा हो जाएगा
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कोई मुसाफिर भूल कर, जाये उधर तो रोक लो
आएगा फिर ना लौट कर, वो गुमशुदा हो जाएगा
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भगवान मुझको माफ़ कर, मजबूर हूँ मैं इस कदर
दो जून की रोटी जो दे, मेरा खुदा हो जाएगा
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पैसे के पीछे भागते, इंसान को मत रोकिये
थक जायेगा, फिर हारकर खुद ही जुदा हो जाएगा
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शैदाई सारे हैं यहाँ, तू ‘सारथी’ की है ग़ज़ल
घूँघट उठाकर देख लो, सबका भला हो जाएगा

#saarthibaidyanath

 

 

 

 

नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं और इसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं।

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