Menu
blogid : 19970 postid : 909517

चुटीले व्यंग – ०२

मन के शब्द
मन के शब्द
  • 55 Posts
  • 11 Comments

०१
कुत्ता
आपसी तू तड़ाक मे
एक आदमी ने दूसरे को
कुत्ते की औलाद कहा ।
बगल से गुजरते कुत्ते से
नहीं गया रहा ।
वह गुर्राया बोला –
खबरदार !
हमारी बिरादरी को बदनाम न करो ,
हमसे नहीं
ऊपरवाले से डरो ।
हम आदमी की तरह
दगा नही करते हैं ,
“प्रखर” वफादारी के लिए मरते हैं ॥
***

०२
बिकलांग वर्ष
हम अपाहिजों के
भाई ही नहीं सगे भाई हैं ,
उनका जीवन स्तर उठाने की
हमने कसमें खाई हैं ।
अत:
हम भी अपने शहर मे
बिकलांग वर्ष मनाते हैं ,
“प्रखर” पूरा का पूरा चंदा खा जाते हैं ।
***
०३
रस्म
पती ने
जीवन भर साथ रहने की रस्म निभाई ।
प्रेमिका के साथ रहते हुए
फोटो फ्रेम मे अपनी तसबीर के साथ
पत्नी की तसबीर लगाई ।।
***

०४
हमारा देश
हमारा देश
आगे बढ़ रहा है ।
यह बात और है कि –
हर पड़ोसी देश
हम पर चढ़ रहा है ॥
***

०५
गरीबी
हमें
गरीबी हटाना है ।
इसलिए शहर से
गरीबों को भगाना है ॥
***

०६
भृष्टाचार
भृष्टाचार अभिशाप है ,
पर यह तो
सुख समृद्धि का माप है ॥
***

०७
गंगा
गंगा को हम
मैली होने से बचायेंगे ।
पर
कूड़ा कचरा तो जरूर बहायेंगे ॥
***

०८
देश के लिए
हम
देश के लिए
मर सकते हैं ।
पर
मेहनत नही कर सकते हैं ॥
***

०९
धर्म निर्पेक्षता
धर्म निर्पेक्षता
लोकतंत्र का नारा है ।
कुर्सी के लिए
यही एक सहारा है ।।
***

१०
कारगिल
हम
कारगिल की लड़ाई को
युद्ध कहते हैं ।
अपने ही वार
अपने सीने मे सहते हैं ॥
***

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh