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आजकल गुजरात के मुख्यँमत्री नरेन्द्र मोदी जी अहमदाबाद मे पूरे तामझाम के साथ तीन दिनो का सदभावना उपवास कर रहे है । उपवास का तो हम भारतीयो से बडा घनिष्ठ नाता है । क्योकि कुछ लोग अपनी महत्वकाक्षाओ को पूरा करने के लिये उपवास करते है तो वही दूसरी ओर करोडो लोग ऐसे भी है जिन्हे मजबूरी मे उपवास रखना पडता है क्योकि वे लोग उन लोगो मे से होते है जो दिन भर की मेहनत के बाद भी अपना और अपने परिवार के लिये दो वक्त की रोटी का जुगाड भी नही कर पाते है , लेकिन ऐसे लोगो की ओर किसी का भी ध्यान नही जाता न तो सरकार और विपक्ष का और न ही मीडिया की नजरे ऐसे लोगो को देख पाती है । लेकिन यदि उपवास कोई अपनी महत्वकाँक्षा के लिये करता है तो उसकी पूरे देश मे चर्चा होती है और मीडिया मे भी उसे पर्याप्त स्थान मिलता है । ऐसे आयोजनो पर जनता का कितना भी पैसा खर्च हो इसकी परवाह कोई नही करता है । इस हाईप्रोफाईल उपवास के माध्यम से अपनी राजनैतिक महत्वकाक्षा को जाहिर करने वाले मोदी जी देश की जनता यह भी बतायेगे कि इस आयोजन पर देश की जनता का कितना पैसा खर्च होगा और जनता को इससे क्या लाभ होगा ? हमारे देश के नेता देश की जनता की जेब पर बोझ डालकर अपनी राजनैतिक रोटिया सेकते रहते है । लेकिन नेताओ के लाभ के लिये होने वाले कार्यो का खर्च देश की जनता क्यो उठाये ? क्या हमारे देश मे ऐसी व्यवस्था नही होनी चाहिए की देश की जनता का पैसा सिर्फ और सिर्फ जनहित के लिये खर्च हो न कि किसी के निजी स्वार्थ के लिये । ऐसे कब तक ये लोग जनता की जेब पर बोझ डालकर अपनी राजनैतिक रोटिया सेकते रहेगे ?
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