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बिटकॉइन: बैन लगाने की बजाय सरकार उसका सही ढंग से नियमन करे

सद्गुरुजी
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समाज सेवा और अध्यात्म से जुड़े होने के कारण रोज ही कई लोंगो से मुलाक़ात होती रहती है. कई लोगों से कुछ बेहद रोचक बातें भी होती हैं. कल शाम को एक बहुत पुराने परिचित शर्मा जी मिलने आ पहुंचे. बड़े खुश नजर आ रहे थे. उनका हँसता हुआ सुन्दर मुखड़ा हमेशा की तरह उतरा हुआ और ओजहीन आज नहीं था.
मैंने उनका स्वागत करते हुए पूछा, “शर्माजी, काफी दिनों के बाद दिखाई दिए हैं और आज बड़े खुश नजर आ रहे हैं. क्या बात है?”
शर्मा जी कुर्सी पर बैठते हुए बोले, “गुरुदेव, बहुत ज्यादा कर्जों से लदा हुआ हूँ. कहीं आने-जाने का मन ही नहीं करता था, लेकिन कर्जों से निवृति का एक रास्ता मिला है. उम्मीद की एक किरण जगी है. आज मन खुश है, सो आपसे मिलने चला आया.”
“कहाँ से उम्मीद की किरण जगी है, एफएलसी और स्पीक एशिया जैसी भगोड़ी फिर कोई नई कम्पनी ज्वाइन कर ली है क्या आपने?” मैं हँसते हुए पूछा.
मेरी बात सुनकर उनके चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गई, जैसे मैंने उनकी कोई कमजोर नस दबा दी हो. वो कुछ खीझते स्वर में बोले, “वो कंपनियां भागी नहीं थी, बल्कि जबरदस्ती सरकार द्वारा भगाई गईं थीं. देशभर के न जाने कितने लोंगो की पूंजी डूब गई. मेरे भी रूपये डूब गए. आज वो कंपनियां रहतीं तो सारे कर्जों से निवृत हो गया होता.”
मैंने कहा, “सरकार ने उन्हें चीटिंग करने वाली और प्रतिबंधित चेन सिस्टम बनाकर कार्य करने वाली फर्जी कंपनियां माना था, इसलिए उन पर पाबंदी लगा दिया था.”
“सर्वे या सवाल पूछकर ईनाम के रूप में रूपये देना कौन सी चीटिंग हैं? यदि चीटिंग है तो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ क्यों चल रहा है? यदि सारी कंपनियां फर्जी थीं तो काफी समय से काम कैसे कर रही थीं? इसके लिए तो सरकार ही दोषी है. बिना उसकी मिलीभगत के फर्जी कंपनियों का चलना संभव ही नहीं. किसी भी कम्पनी का नियमन करना और उसे लाइसेंस देना सरकार का ही काम है. आम जनता को क्या मालूम कि कौन कम्पनी फर्जी है और कौन नहीं?
दूसरी बात ये कि उनसे बरामद धन निवेशकों को क्यों नहीं लौटाया गया? इस मामले में सरकार भी कहाँ ईमानदार है? आज तक सरकार ने बंद कर दी गई किसी कम्पनी का जब्त धन क्या निवेशकों को कभी लौटाया है? किसी कम्पनी ने निवेशकों को लूटा और सरकार ने उसको लूटकर भगा दिया. इसमें भला निवेशकों को इन्साफ कहाँ मिला?” शर्मा जी क्रोधित हो चुके थे.
मैंने उन्हें क्रोधित देख मुस्कुराते हुए कहा, “आप ने जिसमे पैसा लगाया था, वो सब कम्पनियाँ कांग्रस सरकार के शासनकाल में बरसाती मेंढक की तरह ऊपराई थीं और आम जनता के साथ लूटपाट कर कुछ दिनों बाद भाग भी गईं. अब मोदी सरकार में ऐसी फर्जी कंपनियों की वापसी संभव नहीं है.”
शर्मा जी कुछ देर शांत रहकर बोले, “सो तो है, लेकिन मोदी सरकार ऐसी कंपनियों में आम जनता का डूबा धन लौटा दी होती तो उसकी खूब वाहवाही होती. मोदी जी संत आदमी हैं, क्योंकि उनके आगे-पीछे आम जनता के सिवा और कोई नहीं है, लेकिन उनका वित्तमंत्री सही नहीं हैं. वो बहुत बड़े आदमी हैं, उनके पास अकूत सम्पदा हैं, इसलिए गरीब का दर्द उन्हें क्या मालूम? वो लोकसभा चुनाव भी हारे हुए हैं, सो कर्ज में डूबी और महंगाई की मार से विलखती देश की आम जनता का दुखदर्द क्या जाने? आम जनता को इसी आदमी ने परशान कर रखा है. कभी नोटबंदी तो कभी जीएसटी..”
“लेकिन शर्मा जी, वित्तमंत्री जो भी फैसला लेते हैं, उसमे प्रधानमंत्री मोदी की भी तो सहमति रहती है, फिर आप मोदी को क्यों नहीं दोषी मानते हैं? आप तो उन्हें संत कर रहे थे?” मैंने शर्मा जी की बात बीच में ही काटते हुए पूछा.
“राजा को गलत सलाह देने वाले लोग पुराने समय में भी होते थे और आज भी हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि राजा बुरा है. मोदी जी परिवार की बजाय राष्ट्र के लिए सोचते और करते हैं, इसलिए वो संत हैं.” शर्मा जी मेरी बात का जबाब नहीं दिए, लेकिन मोदी को निर्दोष साबित करने की कोशिश में अपना मोदी प्रेम छिपा नहीं सके.
मैंने बात बदलते हुए पूछा, “हम लोग बातों-बातों में कहाँ से कहाँ से कहाँ चले गए. छोड़िये इन बातों को और अपनी ख़ुशी की वजह बताइये. आप आये तो बड़े खुश लग रहे थे. नए पुराने दुनियाभरके कर्जों से निवृति पाने का कौन सा मार्ग ढूंढ लिया है आपने?”
शर्मा जी अपना खराब मूड ठीक करते हुए बोले, “गुरुदेव, कुछ रूपये डिजिटल करंसी बिटकॉइन खरीदने में लगा दिए है. सुना है कि दो साल में धन दस गुना हो जाता है. ऐसा हो जाए तो सारे कर्जों से मुक्ति मिल जाए.”
“शर्मा जी, आप तो पहले से ही कर्ज में डूबे हुए हैं, फिर बिटकॉइन खरीदने के लिए रूपये कहाँ से लाये? फिर कर्ज लिए क्या?” मैंने पूछा.
“नहीं, मेरे पास मां के दिए हुए कुछ गहने थे, उसे बेच के बिटकॉइन खरीद लिए.” शर्मा जी बोले.
मैंने कहा, “शर्मा जी, इसमें बहुत ज्यादा जोखिम भी है. कुछ रोज पहले मीडिया में यह खबर पढ़ा था कि मोदी सरकार क्रिप्टोकरंसी (बिटकॉइन) डीलर्स पर बैन लगा सकती है. आपके सारे अरमानों पर पानी फिर सकता है.”
शर्मा जी मेरी बात सुन परेशान होते हुए बोले, “आप ऐसा मत कहिये, शुभ शुभ बोलिये. मेरा तो यह सुनकर ब्लडप्रेशर बढ़ रहा है.” वो कुर्सी से उठकर खड़े हो गए. जाने क्यों गीली हो गईं आँखों से चश्मा उतार कर अपनी शर्ट से पोंछते हुए बोले, “आप देखियेगा, यदि मोदी सरकार 2019 में लोकसभा चुनाव हारी तो उसकी एकमात्र वजह बिटकॉइन पर लगने वाली रोक टोक और पाबंदी ही होगी. ये वित्तमंत्री इस सरकार को ले डूबेंगे. अपना जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए और कर्जों के बोझ से मुक्ति पाने के लिए आम जनता कहीं भी निवेश कर कुछ धन कमा ले, वित्तमंत्री को यह भी गंवारा नहीं.सब जगह रोकटोक..”
शर्मा जी चलते-चलते बोले, “आप देखियेगा, यदि मोदी सरकार 2019 में लोकसभा चुनाव हारी तो उसकी सबसे बड़ी वजह वित्तमंत्री अरुण जेटली ही होंगे.”
शर्मा जी चले गए, लेकिन उनकी बातों में कर्ज और महंगाई के बोझ तले दबे हुए आम हिन्दुस्तानी का दर्द मुझे साफ़ दिखा. केंद्र सरकार को बिटकॉइन पर पाबंदी लगाने की बजाय उसका सही ढंग से नियमन करना चाहिए. जापान सहित कई देशों की सरकारों ने बिटकॉइन को स्वीकृति प्रदान कर रखी है. भारत सरकार को भी ऐसा ही करना चाहिए. मिडिया में छपी ख़बर के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक भी ‘लक्ष्मी’ नाम से अपना बिटकॉइन शुरू करने जा रहा है. खबर कितनी सही है, यह तो पता नहीं, किन्तु यदि यह सही है तो बिटकॉइन पर प्रतिबंध लगाने का कोई मतलब नहीं. बिटकॉइन के जरिये स्मगलिंग करने वालों, कालाधन रखने वालों और साइबर हमलों के संभावित खतरों से निपटने के लिए सरकार को क्रिप्टोकरंसी (बिटकॉइन) पर बैन लगाने की बजाय उसका सही ढंग से नियमन और संचालन करना चाहिए.

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