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… तो फिर हम क्यों कश्मीर पर पानी की तरह पैसा और लहू बहा रहे?

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा भारत के पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री व गृह मंत्री पी. चिदंबरम (पलनिअप्पन चिदंबरम) ने कश्मीर को लेकर शनिवार को एक ऐसा बयान दिया है, जिससे देश के राजनीतिक गलियारे में न सिर्फ बवाल मच गया है, बल्कि गुजरात के राजकोट में दिया गया चिदंबरम का बेतुका बयान चुनावी मौसम में कांग्रेस के गले की फांस भी बन गया है. शनिवार को गुजरात के राजकोट में चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, ‘कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 370 का अक्षरश: सम्मान करने की मांग की जाती है, जिसका मतलब है कि वे अधिक स्वायत्तता चाहते हैं.’ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने जम्मू-कश्मीर को अधिक स्वायत्तता देने की मांग करते हुए कहा कि कश्मीर को अधिक स्वायत्तता के सवाल पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और इस पर गौर करना चाहिए कि किन क्षेत्रों में स्वायत्तता दी जा सकती है.


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पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कश्मीरियों की आजादी की मांग का समर्थन करते हुए कहा, ‘उसकी स्वायत्तता पूरी तरह से भारत के संविधान के अंतर्गत है. जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा रहेगा, लेकिन उसे अधिक शक्तियां देनी चाहिए जिसका अनुच्छेद 370 के तहत वादा किया गया था.’ चिदंबरम ने दूसरी बार जम्मू-कश्मीर को और अधिक स्वायत्तता देने की बात कही है.


इसके पहले जुलाई, 2016 में भी उन्होंने जम्मू-कश्मीर को अधिक स्वायत्तता देने की मांग की थी. चिदंबरम का कहना है कि कश्मीर घाटी में आजादी की जो मांग की जा रही है, उसका मतलब ही यही है कि वो लोग ज्यादा स्वायत्तता चाहते हैं. चिदंबरम का मानना है कि यदि इस ओर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में भारत को बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा. इस तरह के बयान से कश्मीरी अलगाववादी बेहद खुश हैं.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बैंगलुरू में पी. चिदंबरम पर अलगाववादियों की भाषा बोलने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस के नेता उन लोगों के समर्थन में क्यों बोल रहे हैं जो कश्मीर की आजादी की बात करते हैं? ऐसा करके वे सभी हमारे सैनिकों का अपमान कर रहे हैं. शनिवार को कांग्रेस के एक नेता ने कश्मीर को लेकर जो बयान दिया उससे साफ जाहिर होता है कि पार्टी सर्जिकल स्ट्राइक और हमारी बहादुर सेना को लेकर क्या विचार रखती है? जो कल तक सत्ता में बैठे थे आज वे ही लोग यू-टर्न लेते हुए बेशर्मी के साथ बयान दे रहे हैं.


कश्मीर की आजादी के साथ अपना स्वर मिला रहे हैं. जो लोग देश के वीरों के बलिदान पर अपनी राजनीति करने पर तुले हुए हैं, क्या ऐसे लोगों से देश का भला हो सकता है?’ ‘देश में हुए पिछले कई चुनावों में एक के बाद एक मिली हार से बौखलाकर कांग्रेसी नेता ऐसे देशद्रोही बोल बोल रहे हैं. ऐसा मालूम पड़ता है कि कांग्रेस अपनी गलतियों से कोई सबक नहीं सीखना चाहती है.’


प्रधानमंत्री मोदी का ऐसा कहना यथार्थ में भी सही मालूम पड़ता है. चिदंबरम के कश्मीर की स्वायत्तता वाले बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई तीखी आलोचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चिदंबरम ने कहा है कि ‘पीएम मोदी भूत होने की कल्पना करके ही हमला कर रहे हैं.’ पीएम मोदी कब बहुत होंगे, ये तो पता नही, लेकिन चिदंबरम अब भूत हो चुके हैं, ये सबको पता है.


देश की आम जनता जानती है कि चिदंबरम कभी मोदी सरकार तो कभी चुनाव आयोग पर हमले क्यों कर रहे हैं? न्यायालय में चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की सुनवाई चल रही है. चिदंबरम की मोदी सरकार से खुन्नस की असली वजह तो यही है. उन्हें लग रहा है कि मोदी सरकार सीबीआई के सहारे उनके बेटे को परेशान कर रही है.


कांग्रेसी नेता तो यही चाहते हैं कि वो कितना भी भ्रष्टाचार करें, पर उनके खिलाफ जांच न हो. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कांग्रेस पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए चिदंबरम के बयान को भारत के राष्ट्रीय हित के खिलाफ बताया है. चिदंबरम का बयान देश के राष्ट्रीय हित के खिलाफ तो है ही. कश्मीर भारत का एक अभिन्न हिस्सा है तो फिर आजादी की बात क्यों?


देश की आम जनता भी यही पूछ रही है कि जब उसे कश्मीर में बसने, जमीन-मकान खरीदने और नौकरी पाने का कोई हक़ नहीं, तो फिर क्यों हम लोग कश्मीर पर पानी की तरह पैसा और अपने जवानों का बेशकीमती लहू बहा रहे हैं? कश्मीर में आतंकवाद व अलगाववाद को ख़त्म कर उसे विशेष दर्जा देने वाली संविधान की धारा 370 और 35ए को ख़त्म करने की जरूरत है. कश्मीर समस्या से निपटने का एकमात्र सही तरीका तो यही है.

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