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छूप गया कोई रे-शादी और जन्मदिन की पार्टी-भाग-२१

सद्गुरुजी
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छूप गया कोई रे-शादी और जन्मदिन की पार्टी-भाग-२१
सीढ़ियों की लोहेवाली रेलिंग को गेंदे के फूलों की माला से सजाया गया था.सीढियाँ चढ़कर हम ऊपर छत पर पहुंचे तो वहाँ की सजावट देखकर मैं और अर्पिता दोनों हैरान रह गए.छत पर लाल रंग का लम्बा छुड़ा शामियाना लगा था,जिसमे बाई तरफ फूलों से स्टेज और लाल रंग के दो खूबसूरत सिंहासन रखे हुए थे.स्टेज के आगे कुर्सियां लगी हुई थीं,जिसपर लोग बैठे हुए थे.हमारे दायीं तरफ भोजन करने के लिए बहुत सी लाल रंग की प्लास्टिक की कुर्सियां और लकड़ी की खूबसूरत मेंजे लगीं थीं.तीन तरफ बहुत से स्टाल लगे थे,जिसपर तरह तरह के पकवान थे और हर स्टाल पर दो चार लोग अपने हाथ में प्लेट लेकर खड़े थे और अपने हाथों से अपनी प्लेट में पकवान ले रहे थे.हमारे एकदम दायीं तरफ छोटे टेंट में दो हलवाई और उनको सहयोग देनेवाले अनेक आदमी और औरतें तरह तरह के पकवान बनाने में जुटे थे.कुछ लोग पानी की प्लास्टिक वाली काले रंग की बड़ी टंकी से पानी निकाल रहे थे.छत पर बायीं ओर सब जगह लाल रंग की बहुत सुंदर दरी बिछी हुई थी.
तभी अर्चना अपने हाथ में चॉकलेट का दो पैकेट लेकर और प्रिया अपने हाथ में बड़ा सा केक और लाल रंग के कपडे के एक बैग में कुछ सामान लेकर सीढ़ियों से ऊपर आते दिखीं.उनके साथ नीले कलर की कोट पैंट पहने आशीष भी था,जो आज सज धजकर बहुत अच्छा लग रहा था.वो तीनो आकर हमारे पास खड़े हो गए..
बेटा,तुमदोनों अब चलकर स्टेज पर लगीं अपनी कुर्सियों पर बैठो,मैं तुम्हारी दीदी,साधुबाबा और सब बच्चों को लेकर आता हूँ.सबसे पहले हम तुम्हारे जन्मदिन का केक काटेंगे और बाल अनाथालय के बच्चों को केक खिलाकर और चॉकलेट देकर विदा करेंगे,उन्हें बहुत देर हो रही है-अर्चना के पिताजी ये कहकर हमदोनों को लेकर स्टेज की तरफ चल पड़े.हमारे साथ आशीष भी चल रहा था और हमारे पीछे पीछे अर्चना और प्रिया आ रही थीं.कुछ ही देर में हम स्टेज के पास पहुँच गये.स्टेज के ऊपर हमलोग चढ़ गये.स्टेज पर काफी जगह थी.बायीं तरफ दूल्हा दुल्हन के लिए सिंहासननुमा दो सुंदर कुर्सियां लगीं थीं और दायीं तरफ कुछ दूर पर एक मेज रखी हुई थी,जिसपर लाल रंग का खूबसूरत मेजपोश बिछा था.तभी स्टेज के पीछे लगे स्पीकरों से शहनाई की तेज आवाज में मधुर धुन गूंजने लगी,जो कानों में चुभ रही थी.मैंने अर्पिता के पिताजी को शहनाई की तेज आवाज कम कराने का ईशारा किया.अर्पिता के पिताजी स्टेज के पीछे जाकर आवाज एकदम धीमी करा दिए.शहनाई की धीमे आवाज में बजती सुरीली धुन अब अच्छा लगने लगी.
अर्चना और प्रिया अपने हाथों में लीं सब सामान मेज पर रख दीं.प्रिया केक को मेज के बीच में रख दी और थैले से छोटी मोमबत्ती का दो पैकेट निकाल खोली और रंग-बिरंगी मोमबत्तियां केक के चारो और सजाने लगी.छोटी-छोटी बीस मोमबत्तियां केक के चारो और लगा दीं गईं.केक के आगे अंग्रेजी में लिखा हुआ था-हैप्पी बर्थडे अर्पिता.बड़े से केक को बहुत करीने से एक डिब्बे के भीतर सजाया गया था.जो कि देखने में बहुत अच्छा लग रहा था.
अर्पिता के पिताजी जाकर सभी बच्चों को बुला लाये.रंग-बिरंगे कपड़ों में लिपटे छोटे बड़े लगभग बीस बच्चे स्टेज के पास आकर खड़े हो गए.उसी समय हाथ में कैमरा लिए अपने एक सहयोगी के साथ फोटोग्राफर भी आ गया और वो कैमरा अपने कंधे पर टंगे बैग से निकाल उसे सेट करने लगा.
स्टेज के नीचे खड़े बच्चे शोर मचा रहे थे.मैं अर्पिता के दायीं ओर उसके पास में खड़ा था और अर्चना,प्रिया और अर्पिता के पिताजी उसके बायीं ओर खड़े होकर उसकी मदद कर रहे थे.आशीष अपने पिताजी के पास चुपचाप खड़ा था.
चलो बेटा,अब जल्दी से मोमबत्तियां जलाओ..-अर्पिता के पिताजी बोले.
बैग से माचिस निकालकर प्रिया अर्पिता को पकड़ा दी.अर्पिता केक के चारो ओर की छोटी मोमबत्तियां जला दी.माचिस वो मेज पर एक तरफ रख दी.
फोटोग्राफर स्टेज के पास आकर फ़ोटो खींचने लगा.वो कैमरे में हमारी तस्वीर सेट करते हुए मुझसे बोला-सर,आप दीदी के और करीब आइये.मैं अर्पिता के थोड़ा नजदीक गया,परन्तु फिर भी वो और नजदीक..और नजदीक ..कहता रहा.अर्पिता के एकदम पास जाने में मुझे शर्म और झिझक महसूस हो रही थी.मेरी झिझक देख अर्पिता हँसते हुए मेरी ओर देखी और मेरा बायां हाथ पकड़ अपने एकदम करीब खिंच ली.उसके शरीर से मेरा शरीर सट गया.वो मेरा हाथ अब भी पकडे हुए थी और फोटोग्राफर फ़ोटो खिंच रहा था.कैंमरे की फलैश लाईट आँखों में लग रही थी.
बच्चे अब बहुत तेज शोर मचाने लगे थे.अर्पिता के पिताजी बच्चों की तरफ देख हँसते हुए बोले-अर्पिता,अब जल्दी से केक काटो,ये बच्चे केक खाने के लिए उतावले हो रहे हैं.
अर्पिता धीरे से मेरा पकड़ा हुआ बयां हाथ छोड़ दी और मेजपर झुककर जलती हुई बीस मोमबत्तियों को फूंक फूंककर बुझाने लगी.
तालियों की गड़गड़ाहट के साथ एक साथ बहुत से लोग बोल पड़े-हैप्पी बर्थडे टू यू.देरतक वातावरण में ये बधाई सन्देश और तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही.उधर फोटोग्राफर फ़ोटो खींचने में लगा हुआ था.जन्मदिन मनाने का ये अंग्रेजी तरीका व्यक्तिगत रूप से मुझे पसंद नहीं है.जन्मदिन पर ख़ुशी मनाना मुझे एक अज्ञानता लगती है.जीवन का एक कीमती वर्ष हमारी आयु में से घट गया और हम ख़ुशी मनाते हैं.अपने बर्थडे पर मोमबत्ती जला के फिर उसे बुझाना मुझे तो एक अपशगुन जैसा लगता है.अपने जन्मदिन पर मैंने कभी ये सब नहीं किया है.
चलो बेटा,अब जल्दी से केक काटो और सबको खिलाओ-अर्पिता के पिताजी बोले.
प्रिया बैग में से स्टील का एक चाकू निकाली और अर्पिता को थमा दी.अर्पिता अपने दायें हाथ से केक का एक टुकड़ा काटी और मेरे होंठो से लगा दी.मैं खाने से संकोच करने लगा तो वो हँसते हुए बोली-बिना अंडे वाला शुद्ध शाकाहारी केक है,तुम निश्चिन्त होकर खाओ और अपने हाथों से मुझे भी खिलाओ.
मैंने मुंह खोलकर थोडा सा केक खा लिया.मैं चाकू उठाकर उसे खिलाने के लिए केक का एक टुकड़ा काटना चाहा तो वो अपने बाएं हाथ से चाकू लिया मेरा दाहिना हाथ पकड़ बोली-तुम एकदम बुद्धू हो.चाकू छोडो और जो मेरे दायें हाथ में जो केक है वो खिलाओ.
लेकिन वो तो मेरा जूठा है..मेरा जूठा क्यों खाओगी..-मैं चाकू मेज पर रखते हुए बोला.
मुझे वही खाना है.तुम बिना बहस किये चुपचाप मुझे खिलाओ.-अर्पिता कुछ नाराज सी होकर बोली.
मैं केक का टुकड़ा लिया उसका दायाँ हाथ अपने दायें हाथ से पकड़ उसके मुंह से लगा दिया.वो मुंह खोलकर मेरा आधा खाया हुआ केक का टुकड़ा खा ली और ख़ुशी से मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखने लगी.फोटोग्राफर हर खास मौके की तस्वीरे खिंच रहा था.
हैप्पी बर्थडे टू यू..शोर होने के कारण मैंने अपना मुंह उसके कान के नजदीक ले जाकर उसे जन्मदिन की बधाई दी.
वो मुस्पी कुराते हुए मेरे कान में धीमे से बोली-इस सुखी बधाई से काम नहीं चलेगा.तुमसे बाद में मैं अकेले में बधाई लूंगी.
मैं शरमाकर अपना चेहरा उसके चेहरे से दूर कर लिया और बच्चों की तरफ देखने लगा.वो हँसते हुए दूसरी तरफ घूम गई और अपने भाई आशीष को केक खिलाई.आशीष ने भी उसे केक खिलाया.अपने पिताजी का चरणस्पर्श की और उन्हें केक खिलाई.फिर अपने पिताजी,अर्चना और प्रिया के हाथ से केक खाई.सबने उसे हैप्पी बर्थडे कहा.अर्पिता अर्चना और प्रिया को भी अपने हाथ से केक खिलाई.
फोटोग्राफर तस्वीरें खींचने में व्यस्त था.अर्पिता उसे हाथ के ईशारे से स्टेज के नजदीक बुलाई.वो नजदीक आया तो जोर से बोली-कुछ फैमिली फोटोग्राफ जैसे मैं कहूं,वैसे खींचो.
फोटोग्राफर हाँ में सिर हिला दिया.
अर्पिता अपने पिताजी से बोली-पापा,आप इनके दायें आ जाओ.
वो अर्चना और प्रिया से बोली-तुम दोनों मेरे बाएं खड़ी हो जाओ.
अर्पिता के बायीं तरफ अर्चना और प्रिया खडी हो गईं.बैंगनी कलर का कोट पैंट और मैरून कलर की टाई लगाये अर्पिता के पिताजी आज बहुत अच्छा लग रहे थे.उनके सिर के बाल अधिकतर सफ़ेद हो चुके थे.वो मेरी दायीं तरफ आके खड़े हो गये.अर्पिता आशीष को हमदोनों के बीच में खड़ा कर ली.वो फोटोग्राफर को फ़ोटो खींचने का ईशारा की और उसने फ़ोटो खिंच लिया.
अर्पिता अर्चना और प्रिया से बोली-अब तुमदोनों हट जाओ.
दोनों हटकर मेज के पास चली गईं.अर्पिता के पिताजी,मैं,अर्पिता और उसका छोटा भाई आशीष एक साथ खड़े हो गए.फोटोग्राफर ने फ़ोटो खिंच ली.
अर्पिता अपने पिताजी से बोली-अब आप बीच में खड़े होकर हमदोनों को आशीर्वाद दीजिये.
आशीष को अर्पिता थोडा दूर हटा दी.अर्पिता के पिताजी हमदोनों के बीच खड़े होकर अपना डायन हाथ मेरे सिरपर और बायां हाथ अर्पिता के सिरपर रख दिया.हमतीनो मुस्कुरा रहे थे.कैमरे की फ्लैशलाइट चमकी और फ़ोटो खिंच गया.मैंने झुककर अर्चना के पिताजी के पैर छुए.मेरे सिर पर अपना दायां हाथ रख उन्होंने आशीर्वाद दिया-हमेशा खुश रहो.
वो बहुत भावुक हो गए थे और अपनी आँखे पोंछ रहे थे.अर्चना ने भी झुककर उनके पांव छुए.उन्होंने अपना दायां हाथ उसके सिर पर रख दिया.अत्यधिक भावुक हो जाने के कारण वो मुंह से कुछ बोल न पाये बस अपने आंसू पोंछते रहे.
पापा अब आप हट जाइये.हमदोनों की एक फ़ोटो खींचनी है-अर्पिता बोली.
उसके पिताजी एक ओर हो गए.वो अपनी जेब से रुमाल निकाल अपने आंसू पोंछने लगे.
हमदोनों एकसाथ मुस्कुराते हुए खड़े हुए.फोटोग्राफर ने कैमरे में हमारी तस्वीर उतार ली.
उधर बच्चे केक खाने के लिए शोर मचा रहे थ और स्टेज के नजदीक जमा हो गये थे.
अर्पिता के पिताजी बच्चों को शांत रहने का ईशारा करते हुए बोले-सबको केक मिलेगा,बस कुछ देर और शांत रहो.फिर वो प्रिया से बोले-बेटा जल्दी करो.बच्चों को केक दो.
प्रिया बैग से दोना चम्मच निकाली और दोना का पैकेट खोलकर अर्चना की मदद से मेज पर लगाने लगी.अर्पिता चाकू से केक काटकर दोना में रखने लगी.उसके पिताजी चम्मच का पैकेट खोलकर एक एक चम्मच सब दोना में केक के पास रखने लगे.कुछ देर बाद बच्चों को अर्पिता के पिताजी केक का दोना उठा उठाकर बाँटने लगे.सभी बच्चों को केक खिलाने के बाद स्टेज के पास आये आठ दस बड़े लोगो को भी केक खिलाया गया.केक सब बंटकर ख़त्म हो गया था.प्रिया मेज पर फैला सब सामान,चाकू और केक में लगी मोमबत्तियां बैग में रखने लगी.
लो इसे बच्चों में बांट दो-अर्पिता चॉकलेट का दोनों पैकेट अर्चना को देते हुए बोली.
अर्चना एक पैकेट मेज रख चॉकलेट का दूसरा पैकेट खोलकर बच्चों में बाँटने लगी.बच्चो में चॉकलेट लेने की होड़ लग गई.एक पैकेट का चॉकलेट ख़त्म हो गया तो अर्चना मेज पर से चॉकलेट का दूसरा पैकेट उठाई और उसे खोलकर बच्चों में बाँटने लगी.
तभी दीदी और तानपुरा कंधे पर लटकाये साधुबाबा स्टेज के पास आ पहुंचे.स्टेज की दो सीढियाँ चढ़ वो स्टेज पर आ गए.मैंने और अर्पिता ने झुककर दोनों को प्रणाम किया.
दीदी ने हमें आशीर्वाद दिया-सदैव खुश रहो..
साधुबाबा हँसते हुए बोले-तुमदोनों की जोड़ी बनी रहे.
दीदी ने अपने बैग से निकालकर हमदोनों को एक एक गुलाब का फूल भेंट किया और बोलीं-एक गरीब दीदी तुमदोनों को और क्या दे सकती है.
दीदी,हमें आपसे और कुछ नहीं चाहिए.हमदोनों के लिए आपका आशीर्वाद और दुआ ही काफी है-अर्पिता बोली.
मैं हमेशा ईश्वर से प्रार्थना करुँगी कि तुम दोनों हमेशा खुश रहो-दीदी हमदोनों की तरफ स्नेह से देखते हुए आशीर्वाद दीं.
साधुबाबा और दीदी स्टेज से नीचे उतर गए.दीदी पिताजी से बोली-आप बच्चों को नए कपडे दिलाये और हम सबको यहांपर पार्टी में लाये.आपको ह्रदय से धन्यवाद देती हूँ.अब हमें इजाजत दीजिये.हमलोग अब चलना चाहेंगे.
चलिए,मैं आपलोगों को गाड़ी में बैठा दूँ.अनाथालय तक हमारी दोनों गाड़ियां आपलोगों को छोड़ देंगी और साधुबाबा को उनके डेरे तक छोड़ देंगी-अर्चना के पिताजी बोले.फिर वो अर्चना और प्रिया की तरफ देख बोले-तुमलोग दोनों को दूल्हा दुल्हन की कुर्सी पर बैठा दो.
अब लोग मिलने और आशीर्वाद देने आयेंगे.इतना कहकर वो दीदी,बच्चों और साधुबाबा को लेकर वहाँ से चले गए.
अर्चना और प्रिया ने हमदोनों को ले जाकर स्टेज पर रखे सिंहासन पर बैठा दिया.अर्पिता मेरी बायीं तरफ बैठी थी.मुझे शर्म और संकोच महसूस हो रहा था और अर्पिता मेरी ओर देखकर मुस्कुरा रही थी.लोग बधाई देने के लिए आने लगे.बहुत से लोग रंग बिरंगी पन्नी में लिपटा हुआ गिफ्ट लेकर आये थे.गिफ्ट हम लेकर उन्हें धन्यवाद देते हुए प्रिया को देते जा रहे थे,जो सब गिफ्ट मेज पर रखते जा रही थी.कुछ लोग लिफाफे में रूपये रखकर ओर कुछ बिना लिफाफे के ही रूपये दे रहे थे.लिफाफे ओर रूपये हम अर्चना को पकड़ाते जा रहे था.एक घंटे तक यही सिलसिला चलता रहा.पूरी मेज गिफ्ट के पैकेटों से भर गई थी.अर्चना के पास ढेर सारे लिफाफे ओर रूपये इकट्ठे हो गए थे.फोटोग्राफर बीच-बीच में कुछ फ़ोटो खींचता जा रहा था.लगभग सभी लोग जा चुके थे.केवल सेवा करनेवाले और आस पड़ोस के ही कुछ गिने चुने लोग शामियाना में रह गए थे.
दीदी अब तो सबलोग जा चुके हैं.अगर नीचे कुछ फोटो खिंचाना हो तो मैं रुकूँ,नहीं तो मुझे अब जाने की इजाजत दीजिये-फोटोग्राफर अपना कैमरा बंदकर बैग में रखते हुए बोला.
अभी मत जाना.अभी नीचे कुछ फोटो खींचना है.पहले अपने दोस्त के साथ जाकर खाना खा लो.हमलोग अब नीचे जा रहे हैं,वहीँ पर आ जाना-अर्पिता बोली.
तभी अर्पिता के पिताजी आ गए.हमदोनों कुर्सी से उठा खड़े हुए.अर्पिता के पिताजी पास आकर बोले-मैं उन्हें अनाथालय तक छोड़ने चला गया था,इसीलिए मुझे आने में देर हो गई.
अब तो सब लोग जा चुके हैं.चलो अब हमलोग चलके खाना खा लें.
पिताजी,आप और आशीष यहांपर खाना खा लीजिये.हमचारों लोग नीचे डाइनिंग हॉल में बैठ के खायेंगे-अर्पिता बोली.
ठीक है,जैसी तुमलोगों की इच्छा-अर्पिता के पिताजी बोले.फिर वो प्रिया से बोले-ये गिफ्ट का सब सामान नीचे ले जा के अर्पिता के कमरे में रख दो और यहाँ से खाना ले जाकर नीचे जो लोग है,उन्हें खिला दो.
ये कहकर अर्पिता के पिताजी आशीष का हाथ पकड़ स्टेज से नीचे उतर गए और उस तरफ चल पड़े,जहांपर भोजन की व्यवस्था की गई थी.
हम चारों लोग स्टेज से नीचे उतर गए.अर्पिता और मैं साथ साथ चलते हुए सीढ़ियों की तरफ बढ़ गए.हमारे पीछे पीछे सामान लेकर अर्चना और प्रिया आ रहीं थीं.सीढ़ियों के पास हम पहुंचे तो एक औरत चार पांच साल के प्यारे से बच्चे के साथ छत पर आते दिखी.बच्चे ने अर्पिता को देखकर डोगरी भाषा में कुछ कहा.अर्पिता के चेहरे पर नाराजगी के भाव थे.उसने बच्चे से कुछ पूछा तो वो माँ की तरफ ईशारा कर कर कुछ बोला.अर्पिता बच्चे की माँ को अपनी लोकल भाषा में कुछ नाराज होकर कहने लगी.वो औरत बच्चे को मरना शुरू कर दी.अर्चना और प्रिया हमारे पास आकर अर्पिता को और उस औरत को अपनी भाषा में कुछ समझाती रही.कुछ देर में मामला शांत हो गया.वो औरत बच्चे को लेकर शामियाना की तरफ खाना खाने चली गई.हमलोग नीचे जाने के लिए सीढियाँ उतरने लगे.
नीचे आकर मैंने अर्पिता से कहा-चलो,चलकर माँ का आशीर्वाद लेते हैं.
अर्पिता छत पर हुई कीच कीच से कुछ खिन्न थी.वो कुछ बोली नहीं,चुपचाप मेरे साथ चल पड़ी.माँ के कमरे में हमलोग पहुंचे तो माँ नीले रंग के कपड़ों में सज धज के खड़ी थीं.गठिया की पुरानी बीमारी के कारण वो बैठ नहीं पातीं थीं.वो या तो खड़ी रहती थीं या फिर बिस्तर पर लेटी रहती थीं. दो औरते उन्ही के उम्र के आसपास की थीं जो कुर्सी पर बैठी हुई थीं.
हमदोनों ने झुककर अर्पिता की माँ के पैर छुए.वो ख़ुश होकर हमदोनों के सिर पर हाथ रख ढेरो आशीर्वाद देती रहीं-तुम दोनों की जोड़ी बनी रहे.तुमलोग खूब फलो फूलो.खूब उन्नति करो.मेरा आशीर्वाद हमेशा तुमदोनों के साथ रहेगा.
अर्पिता की माँ ने कुर्सी पर बैठीं एक महिला से मेरा परिचय कराया-बेटा ये मेरी छोटी बहन हैं..तुम्हारी मौसी लगेंगी..इन्हे प्रणाम करो.
मैंने झुककर उन्हें प्रणाम किया.वो मुझे आशीर्वाद देते हुए बोलीं-बेटा,हमेशा खुश रहो.फिर वो अर्पिता की माँ की तरफ देखते हुए बोलीं-दीदी,लड़का बहुत भोला भाला है.तुम्हारी बिटिया के बिलकुल उलट नेचर का है.तुम्हारी बिटिया को बहुत संभल के चलना होगा.
अर्पिता उनका पैर छूकर बोलीं-मौसी तुम चिता मत करो.मैं सब सम्भाल लूंगी.
उसकी मौसी आशीर्वाद दीं-हमेशा खुश रहो.
अर्पिता की माँ कुर्सी पर बैठीं दूसरी औरत से मेरा परिचय कराई-बेटा,ये अर्पिता के पिताजी कि इकलौती बहन हैं..ये तुहारी बुआ लगेंगी..इन्हे प्रणाम करो.
मैंने झुककर उनके चरणस्पर्श किये.वो आशीर्वाद देते हुए बोलीं-खुश रहो बेटा और खूब तरक्की करो.
अर्पिता भी उनके पैर छुई.वो उसको भी आशीर्वाद दीं-खूब फूलो फलो.सदा सुहागिन बनी रहो.फिर वो अर्पिता की माँ की और देखते हुए बोलीं-अभी बहुत कच्ची उम्र है लड़के की.हमारी बिटिया उसपर बीस पड़ेगी.ये दोनों दो तीन साल एक दूसरे से दूर रहें और अपना ध्यान पढ़ाई लिखाई में लगायें तो ज्यादा अच्छा है.
ये अब बच्चा नहीं है बुआ.बीस साल का नौजवान है और उम्र में मुझसे दो महीने बड़ा है-अर्पिता गुस्से में आकर तेज स्वर में बोली.
उसकी बुआ डोगरी भाषा में कुछ बोलीं.अर्पिता भी उसी भाषा में तेज स्वर में बोलना शुरू कर दी.कुछ देर दोनों में बहस होती रही.अंत में अर्पिता की बुआ अपनी हार मानकर चुप हो गईं.
उसी समय प्रिया फोटोग्राफर को लेकर आ पहुंची.फोटोग्राफर ने बैग से अपना कैमरा निकाल लिया.माताजी के साथ मैंने और अर्पिता ने फ़ोटो खिंचाई.फिर उसकी बुआ और मौसी के साथ हमदोनों ने फ़ोटो खिंचाई.
अर्पिता फोटोग्राफर से बोली-हमारे कमरे में चलो.कुछ फ़ोटो हम दोनों की खिंचनी है.इतना कहकर वो मेरा हाथ पकड़ी और मुझे लेकर कमरे से बाहर आ गई.वो बहुत खिन्न लग रही थी.मुझे लेकर वो अपने कमरे के पास आई.दरवाजे पर टंगा गुलाबी पर्दा एक तरफ सरका दी और बंद दरवाजे की कुण्डी खोलकर दरवाजा पूरा खोल दी.कमरे के भीतर से गुलाब की खुशबु आ रही थी.फोटोग्राफर भी हमारे पीछे पीछे चला आया.
हमदोनों ने खड़े होकर और बिस्तर पर बैठकर फ़ोटो खिंचाई.अर्पिता ने खड़े होकर मुझे भी खड़े होने का ईशारा किया.मैं उसके पास खड़ा हो गया.वो मुझेसे एकदम सटकर अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों हाथ पकड़ ली.मुझे बहुत शर्म आने लगी.फोटोग्राफर फ़ोटो खिंच लिया.मैंने अपना हाथ उसके हाथों से छुड़ा लिया.
अर्पिता अर्चना और प्रिया को आवाज दी.अर्चना अर्पिता और मैंने तीनो ने एक साथ खड़े होकर एक फ़ोटो खिंचाई,फिर प्रिया अर्पिता और मैंने तीनों ने एक साथ खड़े होकर फ़ोटो खिंचाई.हम चारो ने खड़े होकर एक फ़ोटो खिंचाई,जिसमे मैं और अर्पिता बीच में थे.मेरे दाहिने अर्चना खड़ी थी और और अर्पिता के बाएं प्रिया खड़ी थी.
मैंने फोटोग्राफर से कहा-अर्पिता की एक अकेलेवाली फोटो खिंच दीजिये.
अर्पिता मेरी तरफ देख मुस्कुराते हुए बोली-तुम्हारी भी एक अकेलेवाली फ़ोटो मुझे चाहिए.
दीदी,ये दूसरी रील भी ख़त्म होनेवाली है.बस दो फोटो और खिंच पायेगी-फोटोग्राफर बोला.
ठीक है,हमदोनों का अकेलेवाला खिंच दो-अर्पिता मेरी टाई ठीक करते हुए बोली.वो मेरी बैगनी रंगवाली टाई ठीक कर एक ओर हट गई.
मैं अकेले खड़ा हो गया.फोटोग्राफर ने मेरी फोटो खिंच ली.मैं फोटो खिंचा एक ओर हट गया.अर्पिता मुस्कुराते हुए अकेले खड़ी हुई.कैमरा की फलैशलाइट चमकी ओर फोटो खिंच गई.कैमरा बंद कर फोटोग्राफर अपने बैग में रख लिया.
सभी फोटो बड़े साइज में बनाना-अर्पिता फोटोग्राफर से बोली.
जी दीदी..अब मैं चलूँ..-वो हाथ जोड़ा और जाने की इजाजत मांगने लगा.
ठीक है जाओ.फोटो ठीक ढंग से बना के और सबसे सुंदर फोटो एलबम में लगा के लाना-अर्पिता बोली.
वो हाथ जोड़कर जी..जी..करते हुए कमरे से बाहर चला गया.वो अर्पिता से बहुत डरा हुआ लग रहा था.आज सुबह मंदिर में हमारी शादी के बाद पहुंचा था और अर्पिता से बहुत डांट खाया था.शाम को इसीलिए समय से आ गया था.
मुझे बहुत तेज भूख लगी थी और बहुत थकान भी महसूस हो रही थी.अर्पिता मेरी ओर देखी और मेरी परेशानी महसूस करते हुए बोली-रात के साढ़े नौ बज रहे हैं.तुम्हे भूख लगी होगी.फिर वो प्रिया की और देखते हुए बोली-प्रिया,तू ऊपर से खाना ले के आ और डाइनिंग टेबल पर हम सबके लिए खाना लगा.अपने भी डाइनिंग टेबल पर खाना लगा देना.आज तू भी हमारे साथ बैठ के खाना खायेगी.
प्रिया का चेहरा ख़ुशी से चमक उठा.वो खुश होकर बोली-दीदी,आप मुझे इतना मानती हैं.मेरे लिए आप का बहन के जैसा सम्मान देना ही काफी है.फिर वो कुछ यादकर बोली-दीदी मैंने वो आपका कम कर दिया है.मुझे उसे लेने के लिए घर नहीं जाना पड़ा.वो तो यहींपर डॉक्टर साहब की क्लिनिक में ही मिल गया.दो गोलियां थीं,मैं दोनों उठा लाई.
अर्पिता मेरी ओर देख मुस्कुराते हुए बोली-अभी तो तू खाना लगा.पहले खाना तो खा लिया जाये.फिर..वो आगे कुछ बोली नहीं बस हंसने लगी.
उनकी बातें सुनकर मुझे कुछ घबराहट होने लगी.मैं गोलियों के बारे में सोचने लगा कि प्रिया कैसी गोलियों की बात कर रही है..ये गोलियां किसके लिए हैं..
मैं पूछना चाहते हुए भी शर्म के मारे न अर्पिता से कुछ पूछ सका ओर न हो प्रिया से कुछ पूछ सका.प्रिया हम सब के लिए ऊपर से खाना लाने चली गई.
शेष अगले ब्लॉग में..
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(सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी,प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम,ग्राम-घमहापुर,पोस्ट-कंदवा,जिला-वाराणसी.पिन-२२११०६)

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