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नेता: ‘मतलब निकल गया है तो, पहचानते नहीं यूँ भगा रहे हैं जैसे हमें, जानते नहीं’

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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जोगी, हम तो लुट गये तेरे प्यार में
जाने तुझको,
हाय रे जाने तुझको खबर कब होगी…

नेट पर कल एक खबर पढ़ रहा था कि योगी आदित्‍यनाथ के यूपी का मुख्यमंत्री बनने पर उत्तर प्रदेश के बलिया में एक युवक इतना खुश हुआ कि उनकी ताजपोशी के बाद उसे खुशी के मारे हार्ट अटैक आ गया और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जब इस बात का ऐलान हुआ कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रेदश के 21वें सीएम बनेंगे उसके बाद से ही वह बेहद खुश था. योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद वो अपनी ख़ुशी का इजहार करते हुए पटाखा फोड़ने लगा. तभी अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और वह बेहोश हो गया. अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और मौत की वजह हार्ट अटैक होना बताया. घटना बेहद दुखद है और ऐसी घटना की जानकारी एक संवेदनशील मुख्यमंत्री को जरूर होनी चाहिए. ऐसे कट्टर समर्थकों और वोटरों की बदौलत नेता सत्ता के शिखर पर पहुँचते हैं. अपने प्रिय नेता के लिए अपनी जान तक लुटा देने वाले समर्थकों और कार्यकर्ताओं की क्या चुनाव के बाद कोई खबर ली जाती है? ये एक बहुत बड़ा और बेहद गंभीर सवाल है. शनिवार को बीजेपी की विधायक दल की बैठक के बाद प्रेस से वार्ता करते समय बीजेपी के नेता केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू जिस तरह से वीजेपी के कार्यकर्ताओं को भगा रहे थे, वो देखकर मुझे बहुत खराब लगा. वेंकैया नायडू जिस तरह से बड़े ताव और गुस्से में आकर भाजपा कार्यकर्ताओं को हाल से बाहर भगाने का आदेश देते हुए बार-बार कह रहे थे कि ‘मैं आऊं क्या?’, उस निकृष्ट बर्ताव को देखसुनकर बीजेपी का एक वोटर होने के नाते मैं अपने आपको बेहद अपमानित महसूस कर रहा था. आश्चर्य की बात है कि इतनी बड़ी बात हुई और मीडिया पर उसकी कोई चर्चा नहीं हुई. चर्चा हुई होती तो शर्मिंदगी के साथ ही उन्हें अपनी गलती का एहसास भी हुआ होता.

मैं टीवी पर देख के हतप्रभ था कि चुनाव जितने के बाद नेता किस तरह से गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं. ऐसा लगता है मानों ‘मतलब निकल गया है तो, पहचानते नहीं यूँ भगा रहे हैं जैसे हमें, जानते नहीं’. वेंकैया नायडू और केशव प्रसाद मौर्य को अपने खराब बर्ताव के लिए कार्यताओं से माफ़ी मांगनी चाहिए. नहीं तो मेरे जैसा मोदी के फलसफे ‘सबका साथ सबका विकास’ का समर्थक और एक जागरूक वोटर अगले चुनाव में वीजेपी को वोट देने की बजाय घर बैठना ज्यादा पसंद करेगा. नेता कब ये समझेंगे कि कार्यकर्ता और वोटर उनसे ज्यादा कीमती और सम्मान के पात्र हैं. आज जिस कुर्सी पर नेता बैठे हैं, उन्हें कुर्सी से धकेलने की क्षमता जनता रखती है. हाँ, ये जरूर है कि ऐसा करने के लिए उसे पांच साल इन्तजार करना पडेगा. समर्थक, कार्यकर्ता और वोटर केवल चुनाव के समय ही नेताओं के माई बाप क्यों, चुनाव के बाद क्यों नहीं? कार्यकर्ता और जनता कितनी बार नेताओं को सबक सीखा चुकी है, लेकिन गिरगिट की तरह रंग बदलने वाली उनकी बुरी आदत ऐसी है कि सुधरती ही नहीं. चुनाव जीतने के बाद वो अहंकार के मारे फूल जाते हैं और जीत रूपी इमारत के नींव के पत्थर कहे जाने वाले अपने कार्यकर्ताओं को ही भुला देते हैं. चुनाव के समय जहाँ उनके मुंह से बातों में शहद टपकती थी, चुनाव होने के बाद उनके मुंह से अहंकार रूपी अंगारे बरसने लगते हैं. सभी दलों के कार्यकर्ता, समर्थक और वोटर अपनी पार्टी को जिताने के प्रति जुनूनी होते हैं, कई बार अपनी जान तक दे देते हैं, किन्तु अंत में उन्हें हासिल क्या होता है? ज्यादातर तो कुछ नहीं.

चन्दा भी देखा तारे भी देखे देखा सूरज बरसों
लेकिन जिस दिन तुझको देखा मन में फूटी सरसों
हाय रे जोगी…

प्रेम धवन का लिखा हुआ ये एक गीत हिंदी फिल्म ‘शहीद’ का है. कई बार इस गीत को सुना है. संत आसाराम बापू के प्रवचन-मंच पर भी उनके लिए ये गीत कई बार गाया गया. असीम आस्था और विश्वास रखने वाली श्रद्धालु जनता इस गीत पर उनके संग झूम-झूम के गाई. ये बात अलग है कि एक दिन ऐसा भी आया जब बहुत से श्रद्धालुओं का दिल टूट गया. एक माध्यम के रूप में इस गीत को देंखे तो ये जनता के प्यार और उसकी भावनाओं को बहुत सुन्दर और बेहतर तरीके से उजागर करता है. यूपी चुनाव के संदर्भ में देंखे तो बड़ा फिट बैठता है. यूपी के लोग विगत दो दशकों में मुलायम, मायावती और अखिलेश सबसे प्यार किये और सबकी राजनीति देखे. सबने थोड़ा या बहुत काम भी किया, लेकिन जनता इन सबसे बहुत ऊब चुकी थी. वो प्रधानमंत्री मोदी के ज़रिए विकास का एक बड़ा सपना देखते हुए इस बार भाजपा को प्रचंड बहुमत दी है. यूपी के लोग हर क्षेत्र में और हर जगह एक बड़ा विकास चाहते हैं और यूपी के बेरोजगार युवा रोजगार के बड़े अवसर चाहते हैं. चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने यूपी की आम जनता और वहां के किसानों से कई बड़े वादे किए हैं, जिन्हें धरातल पर उतारने का वक्त अब आ चुका है. फिलहाल अभी तो जनता का भरपूर प्यार और समर्थन पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों को ही मिल रहा है, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ यदि वादों और इरादों को हकीकत में अमलीजामा नहीं पहनाया गया तो जनता का प्यार गुस्से में बदलते देर नहीं लगेगी. पीएम मोदी को तो दिनोंदिन करीब आते 2019 के लोकसभा चुनाव का भी सामना करना है.

योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाये जाने से केवल मुस्लिम समाज ही चिंतित हो, ऐसा नहीं है. यह चिंता हिंदुओं में भी है. कई लोग जो भाजपा और संघ से जुड़े हैं, जो अपने को कट्टर हिन्दू समझते हैं, उनके मुख से सुना कि योगीजी को मुख्यमंत्री बना के भाजपा और संघ ने अच्छा तो किया है, लेकिन डर यही है कि उनके राज में दंगा-फसाद न हो. योगी आदित्यनाथ को बहुत संभलकर चलना होगा और कट्टर हिन्दू वाली अपनी छवि भी अब बदलना होगा. उनके मुख्यमंत्री बनने पर समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने कहा है कि ‘योगी आदित्यनाथ एक मजहबी रहनुमा हैं.’ एआईएमआईएम के नेता और सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने यूपी में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ‘शायद यही प्रधानमंत्री का न्यू इंडिया है. सबका साथ और सबका विकास बस एक नारा है, अब विकास होगा तो सिर्फ़ हिन्दुत्व का विकास होगा.’ ‘सबका साथ सबका विकास’ वाली मोदी की कार्यशैली से कार्य करते हुए और समाज के सभी वर्गों का निष्पक्ष व समान रूप से विकास कर योगी आदित्यनाथ को आजम खान और असदउद्दीन ओवैसी के पूर्वाग्रहों और शंकाओं को दूर करना होगा. सबसे बड़ी बात ये कि बेरोजगारों को रोजगार देना होगा और किसानों की खराब दशा सुधारनी होगी. अच्छी बात ये है कि अपना कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने कहा है कि लोक कल्याण के प्रति समर्पित ये सरकार बिना किसी भेदभाव के समाज के सभी वर्गों के लिए समान रूप से कार्य करेगी.’ जनता की आशा और उसका प्रेम आंसू में न बदले , बस यही गुजारिश है. जनता को किसी दिन पछताते हुए ये न सोचना पड़े-

बुरा हो इन बैरन अँखियों का कर बैठीं नादानी
पहले आग लगा दी मन में अब बरसाएं पानी
हाय रे जोगी ..

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आलेख और प्रस्तुति= सद्गुरु श्री राजेंद्र ऋषि जी, प्रकृति पुरुष सिद्धपीठ आश्रम, ग्राम- घमहापुर, पोस्ट- कन्द्वा, जिला- वाराणसी. पिन- 221106
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