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फर्जी कम्पनियां लूटकर जनता को लूटकर अब भाग रही हैं

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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इस बात में कोई संदेह नहीं कि मोदी सरकार पूरे देशभर में लाखों की तादाद में चल रहीं फर्जी कंपनियों के खात्मे के लिए काफी गंभीर है। फर्जी कंपनियों को खत्म करने के लिए पूरी तैयारी की जा चुकी है। किन्तु इतनी कड़ाई के बावजूद अब भी फर्जी कम्पनियां आम जनता को लूटकर बड़े आराम से भाग जा रही हैं।

अभी कुछ ही रोज पहले हमारे क्षेत्र में फर्जी कम्पनी से जुड़े एक रिटायर्ड वृद्ध व्यक्ति ने बड़े दुखद ढंग से आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने न सिर्फ अपना बल्कि दूसरों का भी लाखों रुपया कुछ ही समय में दुगुना होने की आस में जिस फर्जी कम्पनी में जमा कराया था, वो करोडों रुपए लेकर फरार हो गई।

अब भी पूरे देशभर में ऐसी न जाने कितनी फर्जी कम्पनियां आम जनता से धन बटोर रहीं हैं, वो कब भाग जाएं, कुछ पता नहीं। निवेशकों से किए गए लुभावने वादे भी वो पूरे नहीं कर रहीं हैं। सरकार ऐसी कंपनियों की छानबीन करे, लोगों को उनकी सच्चाई बताए और उनका जमा धन वापस दिलाए।

इस देश में सबसे बड़ी अफसोस की बात ये है कि कोई भी सरकार फर्जी कम्पनियों द्वारा आम जनता की लूटी गई गाढ़ी कमाई को वापस दिलाने में पूरी ईमानदारी के साथ कोई भी सार्थक प्रयास नहीं करती है। सरकार फर्जी कम्पनियों से जुर्माना और टैक्स वसूलने की ही अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेती है।

लोगों को किसी भी नई कम्पनी पर शक होता है, लेकिन दुनियाभर के घरेलू खर्चों, बढ़ती हुई महंगाई और बाल बच्चों का भविष्य अच्छा बनाने की चिंता से परेशान आम जनता फर्जी कम्पनियों द्वारा कुछ ही समय में धन दुगुना करने के झूठे झांसे में आ जाती है। अक्सर तो उनके परिचित या रिश्तेदार ही उस कम्पनी के एजेंट होते हैं, जिनपर लोग आसानी से यकीन कर लेते हैं।

बहुत से लोग उधार मांगकर, बैंक से कर्ज लेकर और यहां तक कि घर के गहने बेचकर फर्जी कम्पनियों में रुपए लगा देते हैं। कम्पनी के भागने पर एक तरफ जहां आम लोग अपने लालच पर पछताते हुए अपना माथा पीट लेते हैं, वहीं दूसरी तरफ अपनी जिम्मेदारी पर लोगों का धन जमा कराए कई एजेंट विक्षुब्ध होकर आत्महत्या तक कर लेते हैं।

हिन्दुस्तान के लोगों को दरअसल ये समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी कड़ाई के बावजूद अब भी बहुत सी फर्जी कम्पनियां धड़ल्ले से दिन दहाड़े आम जनता से ठगी कैसे कर ले रहीं हैं? इन्हें सत्ता से जुड़े कुछ भ्रष्ट नेताओं का भी वरदहस्त मिला रहता है। उसी बदौलत ये काफी समय तक कानून से बचे रहते हैं। अंत में यही कहूंगा कि आम लोंगो कों आसानी से पता चले कि कोई कंपनी फर्जी है या सही है, सरकार सबसे पहले तो इसकी व्यवस्था करे।

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