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वर्चुअल करेंसी पर सरकार को लेना चाहिए स्पष्ट निर्णय

सद्गुरुजी
सद्गुरुजी
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6 जुलाई से भारतीय बैंकों ने वर्चुअल करेंसी एक्सचेंजों से लेनदेन पूर्णतः बंद कर दिया है, लेकिन भारत में वर्चुअल करेंसी का कारोबार बन्द नहीं हुआ है। वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज कारोबार के नए रास्ते ढूंढ़ रहे हैं। भारतीय एक्सचेंजों ने आरबीआई के प्रतिबन्ध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा भी दायर कर रखा है, जिसकी सुनवाई चल रही है।

एक अनुमान के अनुसार पूरे देश भर में 2 से 5 प्रतिशत लोगों का धन इसमें लगा होगा। बिटक्वॉइन सहित तमाम वर्चुअल करेंसीयों के दामों में आई भारी गिरावट से उनका ये निवेश भारी हानि में बदल चुका है और भविष्य में पूरी तरह से डूब भी सकता है। 2019 के चुनाव बीजेपी के लिए यह नुकसानदेह साबित हो सकता है, क्योंकि केंद्र में इस समय उसी की सरकार है।

मोदी सरकार इस मामले अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं ले सकी है। इस मामले से उसका बचने वाला और ढुलमुल रवैया निवेशकों को बहुत निराश और परेशान किया है। वित्तमंत्री अरुण जेटली जी का कहना है कि भारत में वर्चुअल करेंसी लीगल टेंडर नहीं है। लीगल टेंडर एकमात्र रुपया ही है, जिससे आप लेनदेन कर सकते हो। वित्तमंत्री का ऐसा कहना कोई स्पष्ट निर्णय नहीं है। भारत में डॉलर भी लीगल टेंडर नहीं है, लेकिन वो अवैध नहीं है।

इसी तरह से आरबीआई ने भले ही वर्चुअल करेंसी की बैंकों द्वारा खरीद बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक वर्चुअल करेंसी को अवैध घोषित नहीं किया है। डिसेंट्रलाईज वर्चुअल करेंसी को अवैध घोषित करना आसान काम नहीं है, क्योंकि वो आपके नियंत्रण में नहीं है।

पिछले कुछ महीनों के दौरान वर्चुअल करेंसी के दामों में आई भारी गिरावट का सबसे बड़ा कारण केंद्र सरकार द्वारा इस मामले में अपना रुख साफ नहीं करना और आरबीआई द्वारा बैंको के जरिए वर्चुअल करेंसीज के लेनदेन पर लगाया गया प्रतिबन्ध ही माना जा रहा है। दुनिया के कई देश कानून बनाकर इसे वैध घोषित कर दिए हैं।

दरअसल वर्चुअल करेंसी वाली विकेंद्रित तकनीक पर पूर्ण प्रतिबंध काम नहीं करता है, इसलिए जापान, इंगलैंड, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया ने कुछ वर्चुअल करेंसी को वैध बनाकर अनुकूल नियामकीय रुख अपनाया है और वे वर्चुअल करेंसी के लिए सकारात्मक कर माहौल मुहैया करा रहे हैं।

भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए, क्योंकि आने वाले समय में जो देश अपने नागरिकों को वर्चुअल करेंसी के मामले में शिक्षित नहीं करेंगे और वर्चुअल करेंसी पर प्रतिबंध लगाएंगे, वे वैश्विक कारोबारी माहौल में पिछड़ जाएंगे। कई देशों में तो स्कूल कालेज के छात्रों को वर्चुअल करेंसी के बारे में जानकारी और उसकी विधिवत शिक्षा दी जा रही है।

वर्चुअल करेंसी के क्षेत्र में रोजगार सृजन की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं और भारत जैसे बहुत ज्यादा बेरोजगारी वाले देश में रोजगार देने के मामले में ये एक वरदान साबित हो सकती है, बशर्ते इसे एक कानूनी रूप प्रदान कर दिया जाए। सरकार को भी जीएसटी और इनकम टैक्स के रूप में एक बहुत बड़ी रकम मिलेगी। सरकार को जल्द से जल्द इस बारे में कोई ठोस, स्पष्ट और भविष्य के कारोबार को ध्यान में रखते हुए सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए। जयहिंद।

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